वर्ष 1880 के आस-पास बनी, कन्हैयालाल बागला हवेली एक भव्य इमारत है जो अपने बारीक जालियों की कारीगरी पर गर्व करती है। मुख्य बाज़ार के दक्षिण में स्थित, समूचे शेखावाटी क्षेत्र में यह सबसे अच्छी वास्तुकला का नमूना है। भित्ति चित्रों और दीवार चित्रों में लोक कथाओं के प्रसिद्ध युगल ढोला-मारू की प्रेम कहानियां हैं, जो अपने ऊंट पर भाग गए थे। घोड़ों पर सवार बदमाश उरमा-सुमरा को उनका पीछा करने वाले चित्र भी हम यहां देख सकते हैं। कहानी के अनुसार, ढोला एक राजकुमार था और मारू एक राजकुमारी थी और दोनों का विवाह वचपन में ही हो गया था। लेकिन, अपने पिता की मृत्यु होने पर युवा राजकुमार ढोला अपने राज्य पर नियंत्रण पाने में तल्‍लीन हो गया। सो बड़ा होते होते, वह मारू को भूल ही गया और दूसरी शादी कर ली। आगे चलकर, मारू द्वारा रचित एक लोक गीत सुनते ही, उसे अपनी प्रिय की याद आ गई और वह अपनी प्रिय को घर लाने के लिए एक घोड़े पर सवार होकर चल दिया। लेकिन, भाग्य ने रास्ते में उनके लिए कई समस्याएं खड़ी कर दी। आखिरकार, दोनों, राजकुमार के राज्य में पहुंचे और फिर हमेशा के लिए खुशी-खुशी साथ रहने लगे।आस-पास के अन्य दर्शनीय स्थलों में जामा मस्जिद और एक छोटी मुस्लिम हवेली हैं।

अन्य आकर्षण