राजस्थान के उत्तरी रेगिस्‍तानी इलाकों में पसरा, खूबसूरत भित्ति चित्रों से अलंकृत भव्य हवेलियों और प्राचीन मंदिरों और बारीक नक्‍काशीदार बावडि़यों से सजा-धजा शेखावाटी, समय में ठहरा हुआ-सा लगता है। क्षेत्र के समृद्ध व्यापारियों के राजसी ठाट-बाट का एक प्रतिबिंब, शेखावाटी, उन व्यापारियों की विरासत से गर्वित है, जिन्होंने अपने वास्तु रत्न इसे समर्पित किये। जिले का हर नुक्‍कड़ और कोना, लोक कथाओं, धार्मिक किंवदंतियों और इसके भव्य अतीत की विशिष्‍टताओं के चारों ओर घूमती रंगीन उमंग भरी चित्रकलाओं से जीवंत है। एक तस्वीरों भरी कहानी की तरह यह सारा-का-सारा नज़ारा किसी फोटोग्राफर के लिए सपने जैसा है। अधिकांश हवेलियों को व्यापार के लिए देश के अन्य हिस्सों को चले गये उनके मालिकों द्वारा छोड़ दिया गया था। आज, उन्हें फिर से संवारकर संग्रहालयों, हेरिटेज रिज़ॉर्ट्स और होटलों का रूप दे दिया गया है।

शेखावाटी के इतिहास की जड़ें मत्स्य साम्राज्य में हैं। इसका उल्‍लेख ऋग्वेद और मनुस्मृति जैसे हिंदू महाकाव्यों में भी है। धूंधर के राव शेखा ने अमरसर में अपनी राजधानी के साथ शेखावाटी की स्थापना की थी। उन्होंने इस क्षेत्र को 33 गांवों में विभाजित किया था जो कि मिट्टी और पत्थर के किलों से घिरे थे। 14वीं शताब्दी का एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र, शेखावाटी, अब राजस्थान का एक पर्यटन केंद्र है।