रामेश्वरम के बेहद करीब स्थित है कोथंदरामास्वामी मंदिर। एक प्रचलित मान्यता के अनुसार रावण के छोटे भाई विभिषण ने इस स्थान पर भगवान राम के समक्ष आत्मसमपर्ण किया था। इस मंदिर में श्री राम, देवी सीता, लक्ष्मण जी, हनुमान जी और विभिषण की मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं। मंदिर की दीवारें बेहद खूबसूरत चित्रों से सजी हैं, जिनमें रामायण की विभिन्न कथा-कहानियां अनूठे ढंग से उकेरी गयी हैं। मंदिर का एक मुख्य आकषर्ण अथिमरम वृक्ष है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह यहां का सबसे प्राचीन वृक्ष है। यहां आने वाले श्रद्धालु पास ही में स्थित नंदमबक्कम भी जा सकते हैं, जहां श्रीराम ने भृंगी ऋषि के आश्रम में कुछ दिन व्यतीत किये थे। भीड़ से बचने के लिए तथा मंदिर को अच्छी तरह से देखने के लिए यहां तड़के आना सुविधाजनक है। यदि यात्री यहां रुकना चाहें, तो मंदिर में ही उनके ठहरने के लिए कमरों का भी प्रबंध है। 

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