पत्थर की मस्जिद

मुगल सम्राट जहांगीर के बेटे परवेजशाह ने इस मस्जिद का निर्माण करवाया था। गंगा नदी के किनारे स्थित यह मस्जिद बिहार में उनके शासनकाल में बनवाई गई थी। अपने नाम के अनुरूप यह मस्जिद पूर्ण रूप से पत्थर की बनी हुई हैए जो इस शहर में मुगल वास्तुकला के कुछ बचे हुए स्थलों में से एक है। यह मस्जिद शहर की पुरानी मस्जिदों में से एक मानी जाती है। यह मध्ययुगीन वास्तुकला शैली में निर्मित है। यह पूरी मस्जिद एक ऊंचे चबूतरे पर बनी हैए जिसके केन्द्र में एक बड़ा शानदार गुंबद है। मस्जिद के कोनों में चार छोटी मीनारें और द्वार पर दो बड़ी मीनारें है। इसकी भीतरी दीवारों पर कुरान की आयतें लिखी गई हैं। यह मस्जिद छोटी होने के बावजूदए भी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है। ईद के त्यौहार पर यह मस्जिद जगमगा उठती है और लोगों की भीड़ यहां लग जाती है। यहां सिर्फ मुसलमान ही नहींए अन्य धर्म के लोग भी नमाज़ अदा करने और रूहानी शांति के लिए आते हैं। इसके अलावा कई धार्मिक समारोह यहां आयोजित किए जाते हैं। पुराने समय में यह कई सामाजिक समारोहों का आयोजन स्थल हुआ करता था।

अन्य आकर्षण