पटना से लगभग 30 किमी दूर प्राचीन ज्ञान स्थली मनेर एक छोटा कस्बा है। अन्य इमारतों के अलावा यहां दो महत्वपूर्ण इस्लामिक मकबरे भी हैं। पहली मकबरा मखदूम याहिया या शेख याहिया मनेरी की कब्र हैए जिसे बाड़ी दरगाह के नाम से जाना जाता है और दूसरा शाह दौलत या मखदूम दौलत की कब्र है जिसे छोटा दरगाह कहा जाता है। तत्कालीन बिहार के सूबेदार इब्राहिम खानए संत मखदूम दौलत के शिष्य थेए इसलिए वर्ष 1608 में अपने आध्यात्मिक गुरू की मृत्यु के बादएउन्होंने वर्ष 1616 में इस मकबरे का निर्माण करवाया था। एक शानदार गुम्बदए छत पर लिखी कुरान की आयतेंए वर्ष 1619 में इब्राहिम खान द्वारा ने बनवाई गई एक मस्जिद और जहांगीर युग की वास्तुकला की विशेषता इस मकबरे में देखी जा सकती है। इसकी दीवारों पर की गई नक्काशी असाधारण रूप से जटिल और खूबसूरत है। हालांकि इसे पूर्वी भारत में निर्मित मुगल काल का सर्वश्रेष्ठ स्मारक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस स्मारक में उपयोग होने वाले लाल और पीले पत्थर उत्तर प्रदेश के चुनार जिले से लाए गए थे। याहिया मनेरी का यह मकबरा एक मस्जिद में स्थित है और 400 फिट लंबी सुरंग से सोन नदी के पुराने तल से जुड़ा हुआ है। ये मकबरे यहां के बहुत ही लोकप्रिय तीर्थस्थल हैं। यहां भक्त अपनी भक्ति के प्रतीक के रूप में चादर चढ़ाने आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस नदी का पानी इतना मीठा है कि इसे घी के लड्डू भी बनाए जा सकते है। मनेर में बौद्ध मंदिर और जैन मंदिर भी हैं।

अन्य आकर्षण