अर्जुन की तपस्याए माना जाता है कि यह दुनिया की अपनी तरह की सबसे बड़ी संरचना हैए दो अखंड शिलाखंडों पर की गई विशाल नक्काशीए जो 43 फीट ऊंची और 100 फीट लंबी है। यह यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में भी शामिल है। व्हेल मछली के पीठ के आकार की इस विशाल शिलाखंड पर देवताओंए पक्षियोंए जानवरों और संतों की 100 से अधिक मूर्तियां बनायी गयी हैं। इस अवशेष पर महाभारत का एक दृश्य अंकित हैए जहां अर्जुन तपस्या में लीन हैं और भगवान शिव से अनपे शक्तिशाली और दिव्य धनुष के लिए प्रार्थना करते हुए नज़र आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अर्जुन को महाभारत के युद्ध में कौरवों को हराने के लिए इस धनुष की आवश्यकता थी। एक अन्य किंवदंती के अनुसार इस स्थान पर गंगा अवतरित हुईं थी। यह मान्यता भी है कि राजा भागीरथ ने एक पैर पर खड़े होकर घोर तपस्या की और भगवान शिव से प्रार्थना की कि वह गंगा नदी को स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरने दें ताकि उनके पूर्वज मोक्ष प्राप्त कर सकें।

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