![थिरुमलाई नायक महल](/content/dam/incredibleindia/images/places/madurai/madurai-thirumalai-nayak-palace-0.jpg/jcr:content/renditions/cq5dam.web.1800.600.jpeg)
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पहली ही दृष्टि में आपको यह आलीशान महल इस्लामिक और द्रविड़ शैली के महल की वास्तुकला के अद्भुत सम्मिलन का जीवंत प्रतीक महसूस होगा। एक इतालवी वास्तुकार ने मूलतः इस महल का खाका यहाँ के राजा के निवास स्थान के लिए गढ़ा था, और आज इसके अवशेष जितने विस्तृत हैं, अपनी मूल संरचना में इस महल का परिसर उससे चार गुना बड़ा हुआ करता था। इस महल को विशेषतः इसके मेहराब और गुंबदों पर किए गए सुंदर कलात्मक कार्य के लिए जाना जाता है, और यक़ीन रखें कि यहाँ पहुँच कर आपकी आँखों को यह एक सुकून देने वाला नज़ारा पेश करेगा। यह महल इसलिए भी मशहूर है कि इसे अंदर और बाहर दोनों ओर से खूबसूरती से सजाया गया है। इसके अलावा यहाँ की एक और उल्लेखनीय विशेषता ऐसा अद्भुत मंडप है जिसे बिना किसी भी शहतीर या धरन के सहारे के, सिर्फ़ ईंटों और गारे का उपयोग करके बनाया गया था। पूरे महल में लगभग 248 खंभे मौजूद हैं, और यह आपके लिए यह अंदाज़ा लगाने के लिए काफी है कि इस महल का आकार कितना विस्तृत है। इस महल के मुख्य क्षेत्र को मुख्यतः रंगविलासा और स्वर्गाविलासा नाम के दो भागों में विभाजित किया गया है। इन दोनों भागों में आगे इस के कई और खंड मौजूद हैं, जैसे शाही निवास, धर्मस्थल, निवास भवन, रंगमंच स्थल, सरोवर, उद्यान, शस्त्रागार और शाही चबूतरा इत्यादि।
इतिहास में आपकी विशेष रुचि हो तो इस परिसर के भीतर स्थित संग्रहालय में अवश्य जाइएगा जिसके माध्यम से इस क्षेत्र के इतिहास, कला और वास्तुकला के बारे में जानकारी दी जाती है। थोड़ी और ज़्यादा आनंददायक प्रस्तुति के साक्षी बनने के लिए आप इस महल में आयोजित होने वाले ध्वनि और प्रकाश शो में भी भाग ले सकते हैं। यह महल सन 1636 ईस्वी में मदुरै के शासक तिरुमलाई नायक द्वारा बनवाया गया था, और जानना दिलचस्प होगा कि इसे उनके संरक्षण में निर्मित सबसे शानदार स्मारक माना जाता है। शायद यही वजह थी कि प्रसिद्ध मीनाक्षी अम्मन मंदिर के करीब स्थित इस महल को भारत के स्वतंत्रता प्राप्त करने के लगभग फ़ौरन बाद ही एक राष्ट्रीय स्मारक के तौर पर मान्यता प्रदान कर दी गई थी।