क्षमा करें, हमें आपकी खोज से मेल खाने वाली कोई भी चीज़ नहीं मिली।
ह अपने आप एक अनूठा म्यूजियम है जो आपको केरल के पुलिस बल के इतिहास और विकास से अवगत कराता है। इस म्यूजियम में संग्रहीत हथियारों का इस्तेमाल पुलिस द्वारा 18वी और 19वी शाताब्दी के दौरान किया जाता था। इसकी दुर्लभ प्रदर्शनी में बंदूकें, मशीन, पुलिस के कुत्तों की तस्वीरों, हथियार और पुलिस अधिकारियों द्वारा हासिल किए गए पदक शामिल हैं। मुख्य आकर्षण शहीदों की गैलरी है, हालांकि राष्ट्रीय आपदा सेक्शन विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं की दिल दहला देने वाली तस्वीरें प्रदर्शित करता है जिन्होंने पूर्व में शहर को अपनी चपेट में लिया, जिसमें कोल्लम में आई सूनामी और मेलांडा में पटाखों के चलते हुई दुर्घटनाएं शामिल हैं। प्राचीन कलाकृतियां चार प्रांगण वाले पुरानी हवेली का केंद्र है। इन प्रांगणों में से एक प्रांगण फिंगर प्रिंट और DNA टेस्ट की अन्वेषण जानकारी को प्रदर्शित करता है। म्यूजियम में रविवार को छोड़कर हर दिन सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक जा सकते हैं।
इसकी शुरुआत पुलिस महानिरीक्षक बी. संध्या ने लोगों को पिछले वर्षों में पुलिस विभाग द्वारा किए गए सच्चे प्रयासों के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए उद्देश्य से की गई थी। पूर्वी पुलिस स्टेशन के परिसर में स्थित, यह म्यूजियम कोल्लम पुलिस स्टेशन के बिल्कुल सामने स्थित है।
अष्टमुदी झील के शांत जल के बीच अद्भुत हाउसबोट टूर आपको राजसी थेवाली महल ले जाएगा जो कभी त्रावणकोर के राजा का निवास था। पुर्तगाली, ब्रिटिश और डच वास्तुकला का संगम यह महल राजकीय शासनकाल के भव्य इतिहास के बारे में बहुत कुछ बताता है। नारियल की क्यारियों और ताड़ के पेड़ों के बीच बना यह महल अपने आसपास की सुरम्य चीजों के गौरव को बताता है जिसका लुत्फ इस महल के शीर्ष पर जाकर उठाया जा सकता है। इसमें संगमरमर के पत्थर पर भी कारीगरी की गई है। लेटराइट और चूना का इस्तेमाल करके इसमें प्लास्टर किया गया है ताकि गर्मी के सीजन में इसके अंदरूनी हिस्से को ठंडा रखा जा सके। इस महल का निर्माण 1811 और 1819 के दौरान त्रावणकोर की रानी गौरी पृथ्वी बाई ने करवाया था। ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा इसका इस्तेमाल बैठकों के लिए किया जाता था। किवदंती के मुताबिक, इस महल ब्रिटिश अधिकारी और स्थानीय महिला की खूबसूरत प्रेम कहानी का गवाह रहा है। हालांकि वह अंग्रेज महल के बाहर रहता था जबकि वह महिला महल के अंदर रहती थी। माना जाता है कि दो प्रेमी कुत्ते के जरिये अपने संदेश भिजवाया करते थे, जिनकी याद में थेवाली महल के भीतर एक स्मारक बनवाया गया है।
थांगसेरी अपनी संकरी गलियों, खूबसूरत चर्च, किलों और दीपगृह के साथ-साथ उपनिवेशवाद के आकर्षण से भरा हुआ है। इसके शांत बीच और ताड़ तथा नारियल के झूमते पेड़ इस छोटे से पोर्ट कस्बे को सुरम्य सुंदरता प्रदान करते हैं जो देश के सभी हिस्सों से पर्यटकों को आकर्षित करता है। थांगसेरी का प्रसिद्ध दीपगृह 144 फीट लंबा है। यह शहर की सबसे विख्यात स्मारक है और इसे समुद्र से 13 मील दूर से देखा जा सकता है। थांगसेरी बीच चांदी जैसी पट्टी से कवर है और यह स्ट्रेच 3 किमी लंबी है। इस बीच पर ताड़ के पेड़ हैं। यहां पर लोकप्रिय पर्यटन गतिविधियों में गहरे समुद्र में फिशिंग, सर्फिंग, स्पीडबोट राइडिंग और नौका में सवार होना है। पर्यटकों को सेंट थॉमस किला भी देखना चाहिए जिसका निर्माण पुर्तगालियों ने 1518 में कराया था। किले के अवशेष पर्यटकों को उपनिवेशवाद की वास्तुकला और असाधारण आकर्षण सम्मोहित करता है। पर्यटकों को ऐतिहासिक शैशव जीसस कैथेड्रल भी देखना चाहिए जिसे पुर्तगालियों ने 1614 में बनवाया था। यह थांगसेरी के उपनिवेशवाद के इतिहास के प्रमाण के रूप में सामने है। यह पोर्ट सिटी कभी ब्रिटिश एन्क्लेव थी जिसे डच किलोन के रूप में जाना जाता है और एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र रहा। ब्रिटिश काल में, गांव वाले सोने का इस्तेमाल अपनी मुद्रा के रूप में करते थे, जिसका नाम थांगसेरी दिया गया। इसका मतलब स्थानीय बोलचाल में स्वर्ण गांव था। थांगसेरी, कोल्लम से 5 किमी की दूरी पर है।