शोला पिट जिसे भारतीय कॉर्क भी कहा जाता हैए एक खूबसूरत दूधियाण्सफेद स्पंज लकड़ी है। इस पर कलाकृतियों को बनाने के लिए प्रतिभाशाली कलाकारों द्वारा बारीक नक्काशी की जाती है। बंगाली दूल्हे द्वारा पहनी जाने वाली पारंपरिक टोपी इन कृतियों में सबसे महत्वपूर्ण है। दुर्गा पूजा के उत्सव से कुछ महीने पहले इस शिल्प का उपयोग होना आरंभ हो जाता है। इसका प्रयोग करके पंडालों के बैकग्राउंड को बनाया जाता है। शोला शिल्प बनाने की प्रक्रिया जटिलए विस्तृत और अत्यंत थकाऊ होती हैए और मालाकार जातियों के कारीगरों इसे बनाते हैं। मालाकार का अर्थ है माला बनाने वाले। इस शिल्प का अभ्यास मुख्य रूप से नादियाए हुगलीए बर्दवानए मुर्शिदाबाद और बीरभूम जैसे क्षेत्रों में किया जाता है।शोला पिट को सोला पौधों से प्राप्त किया जाता है जो पश्चिम बंगालए असम और पूर्वी दलदली गंगा के मैदानी इलाकों में उगते हैं।

अन्य आकर्षण