खजुराहो के जैन मंदिरो में यह सबसे बड़ा मंदिर है, यह मंदिर अपनी भव्य निर्माण शैली और गहन मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। यह पूर्वी समूह मंदिरों का हिस्सा है और इसमें भी हिंदु मंदिर वास्तुकला की ही झलक है।

माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 10 वीं शताब्दी में चंदेल शासनकाल में धंगदेव द्वारा (950-999 सीई) किया गया था। यह पहले जैन तीर्थंकर (धार्मिक संत) आदिनाथ को समर्पित था, लेकिन बाद में 1860 में इस मंदिर में पार्श्वनाथ की प्रतिमा स्थापित की गयी।
यह मंदिर अपनी गहन वास्तुकला से पर्यटकों को आकर्षित करता है और इसकी दीवारें पर हाथियों, समुद्री अप्सराओं और शेरों की छवियां अंकित हैं। खास बात है कि इस जैन मंदिर की दीवार पर वैष्णव हिंदू देवताओं की तस्वीरें देखी जा सकती है। मंदिर के वास्तुशिल्प में कुछ ऐसी विशेषताएं हैं कि पूर्व के दो अक्षीय प्रक्षेप के छोर को अर्ध मंडप (हॉल) कहा जाता है वही पश्चिम में पवित्र स्थान गर्भगृह है।

अन्य आकर्षण