दूल्हादेव मंदिर खजुराहो के दक्षिणी मंदिरो के समूह में आता है। यह मंदिर 1130 में चंदेलों द्वारा बनवाया गया था, जो भगवान शिव को समर्पित है और यहां शिव के प्रतीक के रूप में शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिर का वास्तुशिल्प काफी मनमोहक है और इसमें एक बड़ा हॉल है, जिससे पांच छोटे चैमबर्स जुड़े हैं। तराशी हुई मूर्तियाों को देखकर उस समय के शिल्पकारों के कौशल का अनुमान लगाया जा सकता है। मंदिर की दिवारों और छतों पर जटिल नक्काशी की गई है और दीवार पर पत्थर की कारीगरी अक्सर आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। अप्सराओं (आकाशीय अप्सरा) और अन्य पौराणिक आकृतियों की आकर्षक मूर्तियां भी इस मंदिर की दीवारों को सुशोभित करती हैं।

भगवान शिव का यह मंदिर उस क्षेत्र में दुल्हादेव नाम से जाना जाता है, जो भगवान शिव को वर के रूप में दर्शाता है। इतिहासकारो का माना है कि यह चंदेलों द्वारा निर्मित अंतिम मंदिरों में से एक है।

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