प्रसिद्ध तमिल कवि, तिरुक्कुरल पदों के रचयिता सन्त तिरुवल्लुवर की 95 फीट ऊँची पत्थर की मूर्ति इस नगर का एक सुन्दर दर्शनीय स्थल है। शहर के निकट एक छोटे से द्वीप पर स्थित इस मूर्ति को एक 38 फीट ऊँचे आधार पर स्थापित किया गया है। इस पर तिरुक्कुरल के उपदेशों के 38 अध्यायों का प्रतिनिधित्व करते हैं और इसका भार लगभग 7,000 टन है। आधार सहित कुल 133 फीट ऊँची प्रतिमा तिरुक्कुरल के कुल 133 अध्यायों का प्रतिनिधित्व करती है। कहा जाता है कि यह प्रस्तर मूर्ति भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाओं को सहन कर सकती है। इस मूर्ति की आधारशिला तत्कालीन भारतीय प्रधानमन्त्री मोरारजी देसाई द्वारा 1979 में रखी गयी था किन्तु इसकी संस्थापना और शिल्पकारी का कार्य 1990 में प्रारम्भ हुआ और 1999 में यह बनकर तैयार हो गयी। इस मूर्ति के लिए 1 जनवरी, 2000 को सिरुधमूर, अम्बासमुद्रम और पट्‌टूमाला कुप्पम से लाये गये थे जिसका शुभारम्भ तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमन्त्री डॉ. एम. करुणानिधि द्वारा किया गया। इस मूर्ति के निर्माण में कुल 500 शिल्पकार लगे हुए थे जिसका नेतृत्व प्रसिद्ध वास्तुशास्त्री डॉ. गणपति सत्पथी द्वारा किया गया।

अन्य आकर्षण