भारत के अन्तिम दक्षिणी तट पर स्थित अरब सागर, हिन्द महासागर तथा बंगाल की खाड़ी से घिरा भगवती का यह मन्दिर देवी कन्याकुमारी को समर्पित है। इस मन्दिर को शुचिता और एकता का प्रतीक माना जाता है और यह 41 शक्तिपीठों में से एक है (उन स्थलों में से एक जहाँ देवी शक्ति के कटे हुए अंग गिरे थे)।पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी कन्या या श्री भगवती के अपने अवतारों में से एक देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए इसी मन्दिर में तपस्या की थी।लाल मणि से जड़ी हुई मूर्ति की नथनी में इतनी चमक है कि यह प्रकाशदीप की भाँति प्रतीत होता है। देवी को श्री बाला भद्रा तथा श्री बाला के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम ने इस मन्दिर का अभिषेक किया और इस मन्दिर में देवी के दर्शन से मन की अशान्ति दूर हो जाती है। देवी कन्याकुमारी का उल्लेख महाभारत और रामायण में भी प्राप्त होता है।

अन्य आकर्षण