भव्य पद्मनाभ महल तिरुवनन्तपुरम से 64 किमी दूरी और नागरकोविल से 16 किमी दूरी पर थुकाले टाउन में स्थित है। यह पूर्व में त्रवनकोर के शासकों का महल था। इस महल की वास्तुकला सामान्य होते हुए भी उत्कृष्ट है। यहाँ की लगभग सभी रचनाएँ दर्शकों को मोह लेती हैं चाहे वे बेल्जियम के दर्पण हों, जटिल कसीदाकारी हो या छतों पर की गयी चित्रकारी हो या 17वीं तथा 18वीं शताब्दी के भित्ति चित्र हों, शीशम तथा टीक की लकड़ी की कसीदाकारी हो, मिट्टी का विशाल कलश हो और खिड़कियों पर रंगीन अभ्रक हों। इस महल की नृत्य शाला, राजमाता के महल, म्यूजियम, कौंसिल चैम्बर, भोजन कक्ष, आन्तरिक आँगन तथा राजगृह में कलात्मक कार्य प्रचुरता में विद्यमान हैं।एक बड़े आँगन के पार करके पश्चिमी भाग से इस महल में प्रवेश किया जा सकता है। कौंसिल चैम्बर जिसे मन्त्रशाला भी कहा जाता है, इस महल का सर्वोत्तम भाग है। इसकी खिड़कियों में रंगीन अभ्रक लगे हैं और इसके फर्श अत्यन्त सुघड़ हैं, इसके फर्श में शीशे जैसे सुन्दर समतल हैं जो चूने, नारियल, रेत, अण्डे की सफेदी, चूने तथा गुड़ से निर्मित हैं। थाई कोट्टारम नाम से प्रसिद्ध राजमाता का महल इस महल का सबसे प्राचीनतम भाग है जिसका निर्माण केरल शैली की वास्तुकाल में 1550 ई. में कराया गया था। इसकी छतों पर 90 विभिन्न प्रकार के पुष्पीय चित्र चित्रित और खुदे हुए हैं। इसमें सबसे बाद में बनाया गया महल श्रोता कक्ष है जिसका निर्माण 1829 तथा 1846 के बीच किया गया। यहाँ के भोजन कक्ष में 1,000 से अधिक व्यक्ति एक साथ भोजन कर सकते हैं। इस महल के केन्द्रीय भाग में एक चार मंजिला भवन निर्मित है। इसमें राजा का कक्ष, राजकोष गृह, राजा का शयन कक्ष जिसमें एक औषधीय वृक्षों के काष्ठ से निर्मित पलंग है जिसका निर्माण 60 विभिन्न औषधीय लकड़ियों से किया गया है। चौथी मंजिल या उपरिका मलिका में एक ध्यान कक्ष तथा शाही पूजा गृह है जिसकी दीवारें पुराणों के दृश्यों और 18वीं शताब्दी के भित्ति चित्रों से सज्जित हैं। किसी आक्रमण या आपदा के समय महल से बाहर सुरक्षित निकलने के लिए महल के परिसर में एक गुप्त मार्ग का भी निर्माण किया गया था। दक्षिणी महल अर्थात थेकी कोट्टारम में एक पुरातात्विक म्यूजियम है जिसमें फर्नीचर, ताँबें की थालियाँ, लकड़ी की मूर्तिकलाएँ, ग्रेनाइट की शिल्पकारी, प्राचीन अस्त्र-शस्त्र तथा प्राचीन काल की अन्य अनेक वस्तुएँ रखी हैं। सोमवार और राष्ट्रीय त्यौहारों को छोड़कर यह महल रोज 9 बजे प्रात: से 4.40 बजे सायं तक खुला रहता है। इसमें फर्श की पॉलिश को खराब होने से बचाने के लिए दर्शकों को अपने जूते-चप्पल उतारकर जाने की अनुमति होती है।

अन्य आकर्षण