कानपुर मेमोरियल चर्च

Built in 1875, Kanpur Memorial Church was designed by the architect of East Bengal Railway, Walter Granville. Also famous as All Souls Cathedral, the church has been constructed in Gothic architecture. Over time, the once beautifully painted glass windows with interesting memorials have been discoloured. Located in Kanpur Cantonment on Albert Lane, the red brick Lombardic structure is flanked on one side by a cemetery which has graves of British soldiers and people who were killed during the historic siege of Cawnpore (as British called Kanpur back then). On its eastern side is a memorial garden that has a beautifully carved Gothic screen designed by Henry Yule. It can be reached through two gates and has an angel’s statue, built by sculptor Baron Carlo Marochetti, in the centre with arms crossed and holding pylons that symbolises peace.

कानपुर मेमोरियल चर्च

बिठूर

कानपुर से करीब 20 किमी. की दूरी पर बसे बिठूर को बिथुर के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह स्थान भगवान राम के पुत्रों, लव और कुश की जन्मस्थली है। और लोगों का ऐसा भी विश्वास है कि महाकाव्य रामायण की रचना भी इसी स्थान पर हुई थी। आज यह शहर हिन्दुओं द्वारा पूजनीय और पवित्र माने जाने वाले अनेकों मंदिरों तथा घाटों से भरा हुआ है। एक अन्य बात जो इस शहर को खास बना देती है, वो यह है कि ब्रम्हा जी ने इसी स्थान पर सृष्टि की रचना की थी। उनके पादुका चिन्ह आज भी यहां मौजूद हैं। बिठूर में हर साल नवंबर माह में कार्तिक पूर्णिमा पर एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जो बहुत प्रसिद्ध है। 

सन 1857 में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपनी भागीदारी के लिए बिठूर विशेष रूप से जाना जाता है। अंग्रेजों के राज में यह शहर कानपुर का ही एक हिस्सा हुआ करता था। गदर के दौरान मराठाओं के मुखिया पेशवा बाजीराव की पराजय के बाद, उनके दत्तक पुत्र नाना साहब ने गद्दी संभाल ली थी और इस शहर को अपना मुख्यालय बना लिया था। यह वही शहर है, जिस पर जरनल हैवलाक ने सन 1857 में कब्जा कर लिया था।  

जैन ग्लास मंदिर

प्रसिद्ध कमला टावर के पीछे महेश्वरी महल में स्थित है जैन ग्लास मंदिर, जिसे देखने के लिए जैन धर्म के अनुयायी भारी संख्या में पहुंचते हैं। यह मंदिर कांच की नायाब कारीगरी के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें फर्श, दीवारों, दरवाजों, खंबों और छत तक पर कांच की बेहद खूबसूरत कारीगरी की गयी है। यह मंदिर भगवान बुद्ध के अनुयायियों और 23 अन्य तीर्थंकरों को समर्पित है। यहां संगमरमर से बने एक मंच पर 24 जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां, विशाल छत्रों के नीच स्थापित की गयी हैं। मंदिर की दीवारों पर जैन धर्म से जुड़े संदेश और शास्त्रों में लिखी बातें उकेरी गयी हैं। यह मंदिर रोजाना सुबह 7 बजे से शाम के 7 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। पूर्वी भारत में यह जैन ग्लास मंदिर जैनियों के लिए आस्था का एक महत्वपूर्ण केन्द्र है। 

जैन ग्लास मंदिर

श्रीराधा कृष्ण मंदिर

भगवान कृष्ण और देवी राधा को समर्पित श्रीराधा कृष्ण मंदिर खास नव हिन्दु शैली से निर्मित है। इस मंदिर की स्थापना सन 1960 में जे. के. ट्रस्ट द्वारा की गयी थी। इस मंदिर में कुल पांच देव स्थान हैं, जो हनुमानजी, भगवान अर्धनारीश्वर, भगवान नर्मदेश्वर, भगवान लक्ष्मीनारायण और राधाकृष्ण को समर्पित हैं। संगमरमर से बना यह मंदिर अपनी खूबसूरत नक्काशी और पुरानी और नई वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। मंदिर के मंडप बहुत ऊंची छत वाले बनाए गये हैं, ताकि सूर्य के प्रकाश और ताजी हवा मंदिर के हर हिस्से में आती रहे। त्रिकोणीय क्षेत्र में फैला यह मंदिर पूरी तरह हरा-भरा है तथा इसके पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी किनारों पर खूबसूरत तालाब बनाए गये हैं।