यहां का मुख्य मंदिर वाडारण्येश्वर के नाम से जाना जाता हैए जो भगवान शिव को समर्पित हैए और तमिलनाडु राज्य के 275 शैव.स्थलों में से एक है।

यह भी पांच भव्य वृहत नृत्यशालाओं ;पंचसभाईद्ध में से एक है। इस खास नृत्यशाला को श्रत्न सभाईश् नाम से जाना जाता है। किंवदंती के अनुसारए जब स्वामी एक सृष्ट्यात्मक नृत्य कर रहे थेए तो उनका नूपुर टूटकर पृथ्वी पर गिर गया और उसके पांच टुकड़े हो गएए उनमें से एक थिरुवलंगडु था। वास्तव मेंए नृत्य के स्वामी नटराज की एक कांस्य प्रतिमा भी यहां मिली थीए जो अब चेन्नई सरकार संग्रहालय के कला अनुभाग में संरक्षित है।

कई लोगों का मानना है कि मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में चोल वंश द्वारा किया गया था। हालांकि शिलालेख 5वीं शताब्दी की और संकेत करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि वाडारण्येश्वर में प्रवेश करने से पहलेए आपको इसके पीछे स्थित काली मंदिर में प्रार्थना करनी होगी।

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