कनक वृंदावन

सुंदर परिदृश्यों वाला यह उद्यान नाहरगढ़ पहाड़ी की तराई में स्थित है, जो आमेर किले की ओर जाने वाले मार्ग पर स्थित है। इसमें सुंदर नक्काशीयुक्त मंदिर, संगमरमर के स्तंभ एवं जालियां हैं जो फ़िल्मों की शूटिंग के लिए उपयुक्त स्थल है। यह जगह परिदृश्य देखने, फ़ोटोग्राफ़ी करने तथा आराम फ़रमाने के लिए उपयुक्त जगह है। यहां पर नीलकंठ, चितकबरी पंडुक तथा रामचिरैया (किंगफ़िशर) जैसे अनेक पक्षी देखने को मिल सकते हैं। इस उद्यान का निर्माण महाराजा स्वाई जयसिंह द्वारा कराया गया था। ऐसा कहा जाता है कि जिस पौराणिक उद्यान में भगवान कृष्ण रासलीला किया करते थे, उसका अनुसरण करते हुए इसका निर्माण किया गया था। इसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि इसका निर्माण राजा के मनोरंजन के लिए किया गया था। यहां पर आध्यात्मिक स्थल भी है, जहां पर अनेक नदियों का संगम होता है। यहां का पानी बहुत पावन माना जाता है तथा इसके निकट स्थित मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।

इस उद्यान का स्वरूप देखने लायक है तथा यहां वृक्ष पंक्ति में लगे हुए हैं। इसकी दीवारों पर शीशों के काम तथा नक्काशी से सजावट की गई है, जो मुग़ल शैली को परिलक्षित करती है। ज्यामितीय रूप से यह उद्यान आठ भागों में विभाजित किया गया है तथा यहां पर एक फव्वारा भी है, जो संगमरमर के एक ही टुकड़े पर बना हुआ है। यह परिक्रमा कहलाता है।

कनक वृंदावन

राम निवास उद्यान

महाराजा स्वाई रामसिंह द्वारा 1868 में बना यह उद्यान शहर के बीचोंबीच स्थित है। इस उद्यान में अल्बर्ट हाॅल संग्रहालय, चिड़ियाघर, पक्षी अभयारण्य, रविंद्र रंगमंच नामक नाट्यशाला, कलादीर्घा एवं प्रदर्शनी मैदान है। इस उद्यान के विभिन्न पिकनिक स्थलों पर समय व्यतीत करने के लिए लोग यहां पर आते हैं। यह उद्यान पक्षियों में रुचि रखने वालों को भी आकर्षित करता है। यहां पर विभिन्न प्रजातियों के पक्षी देखने को मिलते हैं। 

राम निवास उद्यान

विद्याधर उद्यान

सिसोदिया उद्यान के निकट स्थित यह एक अन्य सुंदर उद्यान है। यह उद्यान जयपुर के मुख्य वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य के नाम पर रखा गया है। यह पार्क पहाड़ियों के बीच स्थित है तथा यह एक सुंदर परिदृश्य प्रस्तुत करता है। इसकी रूपरेखा शिल्प शास्त्र के अनुसार तैयार की गई है। इसके गलियारों की छतों पर आकर्षक चित्रकारी की गई है। इसके मंडप एवं हरियाली से भरपूर दृश्य आंखों को सुकून प्रदान करते हैं। इसकी दीवारें भी देखने लायक हैं जिन्हें जालीदार व शीशों के कलात्मक काम से सजाया गया है। इस बाग में भगवान कृष्ण के जीवन से संबंधित घटनाओं को भी दर्शाया गया है। इस बाग में अकसर नाचते हुए मोर देखे जा सकते हैं।  

सिसोदिया रानी महल एवं उद्यान

जयपुर से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिसोदिया रानी महल एवं उद्यान का निर्माण महाराजा स्वाई जय सिंह द्वितीय ने 1728 में अपनी रानी सिसोदिया के लिए करवाया था जो उदयपुर की राजकुमारी थीं। राजा ने यह उद्यान रानी को भेंटस्वरूप दिया था ताकि वह वहां पर अपना खाली समय व्यतीत कर सके। मुग़ल एवं भारतीय वास्तुशैली में बना यह उद्यान बहु-स्तरीय है और इसमें तालाब, फव्वारे, मंडप बने हुए हैं। हालांकि, मीनारें व स्तंभ भारतीय वास्तुशैली जबकि फूलों की क्यारियां, फव्वारे एवं पानी की नालियां मुग़ल शैली में बनी हैं। बाग के निकट एक मंदिर व प्राकृतिक झरना भी है जो भगवान शिव, भगवान हनुमान एवं भगवान विष्णु को समर्पित हैं। महल की दीवारों पर सुंदर चित्रकारी उकेरी गई है जिनमें आखेट के दृश्य हैं तथा भगवान कृष्ण व राधा से संबंधित पौराणिक कथाएं दर्शाई गई हैं।

सिसोदिया रानी महल एवं उद्यान