ईटानगर, बांस और बेंत से बनी उपयोगी चीज़ों के साथ-साथ वानस्‍पतिक रंगों में रंंगे धागों और प्राकृतिक सब्जि़यों से बने पारंपरिक परिधानों जैसी स्थानीय कलाकृतियों की खरीदारी के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। सबसे अच्छे खरीदारियों में से कुछ में वे गहने शामिल हैं जो ज़्यादातर मूल जनजातियों द्वारा डिज़ाइन किये जाते हैं, और विभिन्न प्राकृतिक स्रोतों और उत्पादों से बनाये जाते हैं। इन आभूषणों को बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली कुछ सामग्री, पुरुषों और महिलाओं, दोनों द्वारा पहनी जा सकती है, जैसे कि बांस पंख, जंगली बीज, कांच के मोती, बीटल पंख आदि। हालांकि तमाम धातुओं का उपयोग किया जाता है, पर चांदी और पीतल सबसे लोकप्रिय हैं। यहां के आभूषणों की दिलचस्प विशेषता इनकी विविधता है। यद्यपि सभी जनजातियां समान सामग्रियों का उपयोग करती हैं, फिर भी उनके आभूषणों की डिज़ाइन और पैटर्न व कौशल विविधता लिये होते हैं और प्रत्येक जनजाति के लिए ये विशिष्‍ट होते हैं। यदि आप यहां आ रहे हैं तो बांस की चूड़ियां और पोकर वर्क डिज़ाइन से सजे कान के गहने खरीदना न भूलें, जो अकास जनजाति द्वारा बनाए जाते हैं। बांस और बेंत के उत्पाद जैसे टोकरियां, बैग, कंटेनर आदि भी खरीदे जा सकते हैं। चावल से बनीं प्‍लेटें, धनुष और तीर, सिर-परिधान, चट्टाइयां, शोल्डर बैग, और बांस व घास की बारीक पट्टियों से बने गहने और हार भी यहां मिलते हैं। लकड़ी की नक्‍काशी राज्य की विशेषता है और जनजातीय समुदायों द्वारा की जाती है। वांचो काष्‍ठकारों में अनुपात की अच्छी समझ होती है, मोनपा लोग शानदार मुखौटों के साथ सुंदर कप, थालियां, फलों के कटोरे बनाते हैं, जो औपचारिक नृत्यों और भाव अभिनय आदि में इस्‍तेमाल किए जाते हैं। मोनपा, शेरडुकपेन, खम्पा जनजातियां विभिन्न शैलियों के मुखौटे बनाते हैं। उनमें से कुछ असली चेहरों की तरह दिखते हैं, जबकि अन्य पक्षियों, जानवरों और बंदरों की शक्‍ल धारण करते हैं। ये मुखौटे लकड़ी के एक ही टुकड़े से उकेरे जाते हैं जो कि अंदर से खोखला होता है। आंखों और मुंह के लिए छेद बनाये जाते हैं और फिर मुखौटों को पेंट किया जाता है।

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