इसे विष्णुपद मंदिर इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां स्थित एक चट्टान पर 40 सेंटीमीटर लंबा एक पद-चिन्ह् है जिसके बारे में मान्यता है कि यह भगवान विष्णु का है। कथा है कि भगवान विष्णु ने इसी स्थान पर दैत्य गयासुर की छाती पर पांव रख कर उसका वध किया था। जब उन्होंने गयासुर को अपने पांव से धरती के अंदर धकेला तो इस चट्टान पर उनके पांव के निशान पड़ गए। हालांकि इस मंदिर की उत्पति कब हुई, यह अज्ञात है लेकिन माना जाता है कि इंदौर की महारानी देवी अहिल्या बाई होल्कर ने 1787 में इस मौजूदा अष्टकोणीय मंदिर का निर्माण करवाया था।यह मंदिर फल्गू नदी के किनारे पर स्थित है जिसके दर्शनों के लिए पूरे देश से श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर परिसर के अंदर ही कुछ और छोटे मंदिर भी हैं जो भगनान नरसिंह को और भगवान शिव के अवतार ‘फल्गीश्वर’ को समर्पित हैं। ये मंदिर हिन्दुओं के लिए बहुत ही महत्व के स्थान हैं।

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