रामशिला पहाड़ी से करीब 10 किलोमीटर दूर प्रेतशिला पहाड़ी है जिसकी तलहटी में ब्रह्म कुंड है जिसमें स्नान करने के बाद श्रद्धालु पिंड-दान करते हैं। यहां का प्रमुख आकर्षण पहाड़ी की चोटी पर स्थित मृत्यु के देवता यम का मंदिर है। इंदौर की महारानी अहिल्या बाई ने 1787 में इस मंदिर का निर्माण करवाया था जो अपनी वास्तुकला और मूर्तिकला के लिए विख्यात है। इस मंदिर के पास ही एक राम कुंड है जिसके बारे में कहा जाता है कि भगवान राम ने वहां स्नान किया था। श्रद्धालु इस कुंड में इस विश्वास के साथ स्नान करते हैं कि इससे वे पाप-मुक्त हो जाएंगे।

ऐसी मान्यता है कि रानी ने इस मंदिर का निर्माण यहां भटकने वाली एक आत्मा की शांति के लिए करवाया था। एक अन्य कथा यह बताती है कि दैत्य गयासुर जब भी किसी की मृत्यु देखता तो व्यथित हो जाया करता था। जब उसने इसी जगह आकर तप किया था। उसके तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उससे वरदान मांगने को कहा। गयासुर ने उनसे मांगा कि उसके संपर्क में जो कोई भी आए, चाहे वह कोई जानवर हो, कीट हो, संत हो, आम इंसान हो, अप्सरा हो, दैत्य हो, कोई धर्मात्मा हो या कोई बुरा व्यक्ति, उसे उसके पापों से मुक्ति मिले और उसे मोक्ष प्राप्त हो जाए। मान्यता है कि उसके बाद से जो भी व्यक्ति यहां आता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और मृत्यु पश्चात वह भगवान विष्णु के धाम वैकुंठ को गमन करता है। हालांकि यह भी कहा जाता है कि विष्णु ने गयासुर की छाती पर अपने पांव से प्रहार कर उसका वध किया और उसी के बाद से धरती पर यह जगह यानी ‘गया क्षेत्र’ सबसे पवित्र माना जाने लगा। इस घटना ने गयासुर को पत्थर की अनेक चट्टानों में परिवर्तित कर दिया जो पूरे गया क्षेत्र में फैली हुई हैं। चूंकि ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर पवित्रीकरण की शक्तियां हैं इसीलिए लोग यहां आकर अपने पूर्वजों का श्राद्ध-कर्म करते हैं ताकि इससे उन्हें पापों से मुक्ति प्राप्त हो।

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