बीर-बिलिंग में पैराग्लाइडिंग-साहसिक खेल

बीर-बिलिंग दुनिया की पैराग्लाइडिंग राजधानी कही जाती है और दुनिया भर से साहसिक खेलों के चहीतों को आमंत्रित करती है। यहां तिब्बती शरणार्थियों का एक बड़ा समुदाय है, साथ ही कई तिब्बती मठ भी हैं, जहां आप जा सकते हैं।

बीर-बिलिंग में पैराग्लाइडिंग-साहसिक खेल

त्सुगलाखांग

दलाई लामा का निवास, त्सुगलाखांग, ल्हासा में मूल त्सुगलाखांग मंदिर की प्रतिकृति है। इस परिसर में नामग्याल मठ और कई मंदिर हैं, साथ ही भगवान बुद्ध, गुरु रिनपोछे (8 वीं सदी के बौद्ध गुरु) और चेनरेज़िग (श्रद्धेय बोधिसत्व) की मूर्तियां हैं।त्सुगलाखांग भी कला प्रेमियों को पसंद आएगा क्योंकि इस स्थान में इस क्षेत्र की कुछ शानदार कलाकृतियों को बनाया गया है। पर्यटक लिंग खोर के ध्यान मार्ग पर भी जा सकते हैं, जो आपको कई छोटे मंदिरों, विशाल भित्तिचित्रों और कई स्तूपों तक ले जाता है।

त्सुगलाखांग

खिलौना रेलगाड़ी या टॉय ट्रेन

कांगड़ा टॉय ट्रेन पठानकोट और जोगिंदर नगर को जोड़ती है तथा पहाड़ियों एवं घाटियों के भूल-भुलैये के बीच से अपने यात्रियों को सुरम्य वातावरण का शानदार दृश्य दिखाती चलती है। टॉय ट्रेन में सवारी करना एक रोमांचकारी अनुभव है और इसके जरिए आप कांगड़ा घाटी की सुंदरता का आनंद उठा सकते हैं। 163 किलोमीटर लंबी इस लाइन पर वर्ष 1926 में काम शुरू हुआ था।

खिलौना रेलगाड़ी या टॉय ट्रेन

तिब्बती चिकित्सा और खगोल संस्थान

तिब्बती औषधीय इलाज के पारंपरिक तरीकों पर आधुनिक नैदानिक अनुसंधान करने वाले एक शोध विभाग के अलावा, तिब्बती चिकित्सा और खगोल संस्थान बेसहारा और ज़रूरतमंदों को मुफ्त उपचार प्रदान करता है। इसमें ज्योतिष, खगोल विज्ञान और फार्मेसी विभाग भी है। तिब्बती चिकित्सा और खगोल संस्थान में 200 से अधिक प्रकार की दवाएं पारंपरिक रूप से बनाई जाती हैं।

तिब्बती चिकित्सा और खगोल संस्थान

कांगड़ा कला संग्रहालय

कांगड़ा, हिमाचल राज्य की कला और संस्कृति का एक केंद्र है और कांगड़ा कला संग्रहालय में बेहतरीन कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया है। कोतवाली बाजार में स्थित इस संग्रहालय में कांगड़ा घाटी की विभिन्न कलाओं और शिल्पों को संजोकर रखा गया है, जिसमें लघु चित्रों की एक गैलरी भी शामिल है। कुछ कलाकृतियां 5 वीं शताब्दी की हैं और पर्यटक मिट्टी के बर्तनों, मूर्तियों और चित्रों को यहां देख सकते हैं। आप सिक्कों, नक्काशी, पांडुलिपियों और आभूषणों के साथ शाही पोशाक और शामियाना भी देख सकते हैं। समकालीन कलाकारों और फोटोग्राफरों के काम की झलक पाने के लिए, पर्यटक निचले तल पर पुस्तकालय में जा सकते हैं।

कांगड़ा कला संग्रहालय

त्रियुंड ट्रेक

मैक्लोडगंज के धरमकोट क्षेत्र में लोकप्रिय हिल स्टेशन, त्रियुंड, विभिन्न मार्गों के लिए शुरुआती बिंदु है जो त्रियुंड हिल तक जाते हैं। इनमें से कुछ रास्ते महान माउंट धौलाधार पर इंद्रहार प्वाईंट की ओर जाते हैं। ट्रेक के दौरान, पूरे धौलाधार रेंज और विशाल हरे-भरे घास के मैदानों के दृश्य एक वास्तविक अनुभव प्रदान करते हैं, जो सप्ताहांत के दौरान मध्यम-से-आसान ट्रेक की तलाश में कई ट्रेकर्स को आकर्षित करता है। यह ट्रेक, जो धरमकोट से शुरू होता है, 18 किमी लंबा है और अच्छी तरह से चिह्नित है। यदि यह ट्रेकिंग का आपका पहला अनुभव है, तो आपको एक गाइड/ट्रेक ऑपरेटर को किराए पर लेने की सलाह दी जाती है, क्योंकि रोडोडेंड्रोन और देवदार के घने जंगलों के बीच से रास्ता बना होता है, जिसमें उनकी सुंदरता को निहारते हुए आप थोड़ा भटकाव के शिकार हो सकते हैं। पूरी यात्रा तय करने में आपकी गति के अनुसार अधिकतम छह घंटे लगते हैं। यदि आप आगे बढ़ने का इरादा रखते हैं तो वहां एक विशाल समतल क्षेत्र मिलता है जिसका उपयोग तम्बू गाड़ने के लिए और स्थितियों से अपने आपको अनुकूल बनाने के लिए किया जा सकता है।त्रियुंड हिल की चोटी से आप शानदार धौलाधार रेंज देख सकते हैं। यदि आप बर्फबारी की तलाश में हैं तो यहां की यात्रा के लिए सर्वोत्तम महीना जनवरी है। मार्च से मई महीनों के दौरान विशाल जंगल और पर्वत श्रृंखलाओं के शानदार एवं स्पष्ट दृश्यों को देखा जा सकता है। यह स्थान धर्मशाला से लगभग आधे घंटे की दूरी पर स्थित है।

त्रियुंड ट्रेक

डल झील

शांत डल झील, धर्मशाला के सबसे मनोरम स्थानों में से एक है, जो ऊबड़ खाबड़ पहाड़ों के बीच चमकते पन्ने की तरह दिखता है। झील देवदार के पेड़ों के हरे-भरे जंगल से घिरी हुई है जो एक शांत पिकनिक स्पॉट के लिए जाना जाता है। झील का दौरा करने का सबसे अच्छा समय सितंबर के महीने के दौरान होता है, जब यहां एक लोकप्रिय मेला आयोजित किया जाता है। भगवान शिव के सम्मान में मनाया जाना वाला यह त्योहार बड़ी संख्या में गद्दी जनजाति के सदस्यों द्वारा आयोजित किया जाता है। पर्यटक झील के तट पर स्थित विख्यात इस शिव मंदिर में श्रद्धासुमन अर्पित कर सकते हैं। पर्यटक झील के प्राकृतिक परिवेश में नाव की सवारी का आनंद ले सकते हैं और प्राकृतिक वातावरण का आनंद उठा सकते हैं।

डल झील

चिन्मय तपोवन

शानदार धौलाधार पहाड़ों की तलहटी में स्थित आधुनिक आश्रम के रूप में चिन्मय तपोवन देश के सबसे अधिक गमनयोग्य तीर्थ स्थलों में से एक है। बिंदू सरस नदी के तट पर खड़ा यह आश्रम एक शांत आध्यात्मिक स्थान है जहां पर्यटक हनुमान की 9 मीटर ऊंची मूर्ति को अपनी श्रद्धासुमन अर्पित कर सकते हैं। आप परिसर में राम मंदिर के साथ-साथ एक मेडिटेशन हॉल और एक मनोरंजन केंद्र भी देख सकते हैं। पर्यटक देवदार वृक्ष के हरे-भरे जंगल में सैर-सपाटे कर सकते हैं, जो आश्रम से थोड़ी दूर पर स्थित है। चिन्मय तपोवन की स्थापना स्वामी चिन्मयानंद ने प्राकृतिक और आध्यात्मिक तपस्थली के रूप में की थी।

चिन्मय तपोवन