19 वीं शताब्दी में बना सेंट जेम्स चर्च दिल्ली के सबसे पुराने चर्चों में से एक है और पर्यटन के लिए एक प्रमुख स्थल है। यह कश्मीरी गेट के चहल-पहल से भरे क्षेत्र के बीच स्थित है, पर चर्च का शांत वातावरण आगंतुकों को आकर्षित करता है। यह चर्च आगे से बहुत ही शानदार दिखता है और इसे क्रूसिफ़ॉर्म योजना के तहत पुनर्जागरण पुनरुद्धार शैली में बनाया गया है। इस चर्च में तीन बहुत बेहतरीन बरामदे है, इसके केंद्र में एक अष्टकोणीय गुंबद है। इसकी वेदी के ऊपर रंगीन चित्रों से भरी कई कांच की खिड़कियां हैं। यहां की एक और विशेषता है कि चर्च के ऊपरी हिस्से में एक क्रॉस और एक तांबे की गेंद लटकी हुई है, और ऐसा माना जाता है कि ये दोनों वेनिस के एक चर्च से प्रेरित है। इस चर्च का परिसर हरे-भरे सुव्यवस्थित बगानों से घिरा हुआ है, इस कारण इसके आस पास शांति रहती है, जो लोगो को अपनी ओर आकर्षित करती है। ऐसा कहा जाता है कि इसके मैदान में एक ही समय में 1,200 लोग आसानी से समा सकते है। यहां पर अक्सर बपतिस्मा, जन्मदिन, सालगिरह, शादी और धन्यवाद समारोहों जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। रविवार को यहां चर्च में बड़ी संख्या में लोगो को आते जाते देखा जा सकता है। यहां क्रिसमस, ईस्टर और पाम संडे जैसे त्योहारों को बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। यह चर्च बच्चों के लिए एक रविवार स्कूल आयोजित करता है, ताकि उन्हें बाइबिल की शिक्षा दी जा सके।सेंट जेम्स चर्च का निर्माण कर्नल जेम्स स्किनर ने किया था। ऐसा माना जाता है कि कर्नल ने इस चर्च को बनाने की संकल्पना तब ली थी जब वे युद्ध के मैदान में घायल पड़े हुए थे। यह भी कहा जाता है कि यह चर्च जिस स्थान पर स्थित है, वहां मुगल राजकुमार दारा शिकोह का, जिन्हें उनके भाई औरंगज़ेब ने कत्ल कर दिया था, का आम का बाग़ था।। यह चर्च एक शांत जगह में स्थित है, और इस चर्च के उत्तर में स्किनर परिवार का कब्रिस्तान है।

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