यूनेस्को द्वारा पश्चिमी घाट का विश्व धरोहर स्थल घोषित कोयंबटूर तमिलनाडु के सबसे बड़े शहरों में से एक तथा एक मनोरम सांस्कृतिक स्थली है। राज्य के पारंपरिक कपड़ा उद्योग का एक अभिन्न भाग बन चुका कोयम्बटूर विश्व-प्रसिद्ध 'विलेज कॉट' साड़ियों और उत्तम सोने और हीरे के अभु का केंद्र है, जिसने इसे दक्षिण के मैनचेस्टर की पहचान दे दी है। हरी-भरी पहाड़ियों तथा सुंदर झरनों से घिरा हुए कोयम्बटूर में पूरे साल एक सुखद जलवायु का आनंद व्याप्त रहता है, क्योंकि पश्चिमी घाट के पालघाट दर्रे के होकर वहाँ से बहने वाली ठंडी हवा की एक निर्बाध धारा यहाँ आती रहती है।

पहले कोयम्बटूर को कोंगुनाडु कहा जाता था और अब इसे कोवई कहा जाता है। अपने आधुनिकीकरण से पहले कोयम्बटूर एक गाँव था, जिस पर कोयन या कोवन नाम के आदिवासी मुखियाओं का शासन था। बाद में, इस क्षेत्र पर राष्ट्रकूट, चालुक्य, पांड्य, होयसाल और विजयनगर जैसे कई राजवंशों का शासन रहा। औपनिवेशिक शासन के दौरान, अंग्रेजों ने कोयम्बटूर को एक औद्योगिक शहर में बदल दिया और यहाँ कई कपड़ा मिलें स्थापित कीं, जिन्होंने शहर के कपड़ा विकास का मार्ग प्रशस्त किया। यह शहर तमिलनाडु राज्य की राजधानी चेन्नई से लगभग 510 किमी दूर है और यहाँ बस, ट्रेन और विमान के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।

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