कोयंबटूर से लगभग 88 किमी दूर स्थित सत्यमंगलम टाइगर रिज़र्व, पूर्वी और पश्चिमी घाटों के सम्मिलन स्थल पर स्थित है। इसके कारण यहाँ की वनस्पति और जीव प्रजातियाँ बेहद विविध हैं। बाघों के अलावा यह स्थान हाथी, गौर, काले हिरन, चार सींग वाले मृग, तेंदुए, लकड़बग्घे और जंगली कुत्ते के लिए लोकप्रिय है। वनस्पति के मामले में यह वनक्षेत्र पर्णपाती जंगलों, कांटेदार जंगलों, उष्णकटिबंधीय पहाड़ी वन और रिपेरियन वन भूमि से मिल कर बना है। चंदन के पेड़ यहाँ एक बहुतायत में हैं। बाघों की संकटग्रस्त प्रजाति के संरक्षण के लिए यहाँ के अधिकारियों ने जितने प्रयास किए, उनके कारण 2013 में सत्यमंगलम को बाघ अभ्यारण्य घोषित किया गया। माना जाता है कि लगभग 54 बाघ इस रिजर्व में रहते हैं। सत्यमंगलम-धिंबम घाट सड़क के माध्यम से जंगल के कुछ हिस्से पहुँचने लायक हैं, जिनमें 27 तीखे मोड़ हैं जो यहाँ गाड़ी चलाने को एक रोमांचक अनुभव बनाते हैं।

सत्यमंगलम वन क्षेत्र के जंगलों और वन्यजीवों के साक्ष्य और इसका प्रारंभिक इतिहास तमिल साहित्य में पाया गया है, जो संगम काल में रचा गया था। कहा जाता है कि इस क्षेत्र पर कई शासकों का शासन रहा, जिनमें 17वीं शताब्दी में मैसूरु के शासक टीपू सुल्तान सबसे महत्वपूर्ण थे। कहा जाता है उन्होंने सत्यमंगलम के जंगलों के माध्यम से कोंगु देश के लिए दो मुख्य मार्ग बनवाए। उन्होंने चन्दन को शाही पेड़ का दर्जा भी दिया और वन संरक्षण को महत्व दिया।

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