बेलगाम के बाहरी इलाके में येलुरगढ़ की तलहटी में स्थित येलुर एक प्रमुख पर्यटक केन्द्र है जो अपने प्राचीन मंदिरों, हरे-भरे जंगलों और प्राचीन समुद्र तटों की ओर आगंतुकों को आकर्षित करता है। येलुर में सबसे लोकप्रिय आकर्षण एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है, जो एक हजार साल से भी अधिक पुराना है। इस मंदिर को येलुर श्री विश्वेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है और अपने नारियल अभिषेकम के लिए प्रसिद्ध है, जिसके माध्यम से मंदिर जाने वाले श्रद्धालु भगवान शिव या विश्वेश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। देश के सभी हिस्सों से आए भक्त यहां सोने के सिक्के समर्पित कर और मिट्टी के दीपक जला कर भगवन शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। देवायतन शैली की वास्तुकला के अनुरूप निर्मित इस मंदिर की भव्य संरचना न केवल भगवान शिव के भक्तों को बल्कि दुनिया के प्रत्येक भाग से पुरातत्व और इतिहास प्रेमियों को भी आकर्षित करती है। भक्त इसी मंदिर परिसर में अलग-अलग स्थापित देवी अन्नपूर्णेश्वरी और भगवान विनायक के मंदिरों में भी जा सकते हैं। मंदिर के उत्तरी भाग में एक सुंदर झील भी है, साथ ही एक मंदिर भी जो देवी भागीरथी को समर्पित है। यहाँ एक लोकप्रिय मान्यता है कि गंगा नदी कभी उस स्थान से बहती थी जहां आज यह झील स्थित है। येलूर सिर्फ अपने मंदिर की पगडंडियों के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है। रोमांचप्रेमी पर्यटक यहाँ के कुंदरमुख राष्ट्रीय उद्यान में भी जा सकते हैं। बाघ और शेर जैसी पूंछ वाले मकाक बंदर जैसी विभिन्न प्रकार की पशु प्रजातियों की निवासस्थली बना यह राष्ट्रीय उद्यान समृद्ध जैव विविधता से भरपूर है और प्रकृति तथा वन्यजीव प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यदि आप येलूर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साक्षी बनना चाहते हैं, तो एक सुरम्य पहाड़ी पर स्थित येलूर किले का भ्रमण अवश्य करें। बेलगाम के लगभग सभी हिस्सों से सीधे दिखने वाला यह ऐतिहासिक किला आपको अपनी भव्य वास्तुकला और वहाँ से दिखते बेलगाम शहर के सुंदर विहंगम दृश्यों से मोह लेगा।

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