बेलगाम से लगभग 80 किमी दूर एक पहाड़ी की चोटी पर रेणुका देवी मंदिर स्थित है। इसे येल्लम्मा देवी मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, यह मंदिर जमदग्नि की पत्नी और परशुराम की मां रेणुका से संबंधित है, जिनकी कहानी प्राचीन पुराणों में एक उल्लिखित है। इस मंदिर को चालुक्य और राष्ट्रकूटन शैलियों की वास्तुकला के अनुरूप बनाया गया है, जबकि इसकी नक्काशी पर जैन शैली का प्रभाव परिलक्षित होता है। इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1514 में रायबाग के बोमप्पा नाइक द्वारा प्रारंभ किया गया था। इस परिसर में भगवान गणेश, मल्लिकार्जुन, परशुराम, एकनाथ और सिद्धेश्वर को समर्पित मंदिर स्थापित हैं। यहाँ धर्मशालाओं और स्वास्थ्य केंद्रों की सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं।

यहाँ का प्रमुख आकर्षण येल्लम्मा जात्रे नामक जुलूस है, जिसके अंतर्गत येल्लम्मा देवी की मूर्ति को देवी शक्ति के रूप में पूजा जाता है। जात्रे अपार जनसमूह को आकर्षित करने वाली एक बहुत पुरानी परंपरा है जिसने वर्षों के अन्तराल में कई बदलाव देखे हैं।

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