अपनी अनुपम चाभी की घुंडी जैसी आकृति के लिए मशहूर बेकल किले का निर्माण 1650 ईस्वी में केलडी के शिवप्पा नायक द्वारा किया गया था। इस किले में कोई महल या हवेली नहीं है क्योंकि यह कभी भी एक प्रशासनिक केंद्र नहीं था, लेकिन यह आज भी केरल के सबसे बड़े और सबसे अच्छी तरह से संरक्षित किलों में से एक है। समुद्र तल से 130 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह किला देश के कोने-कोने से पर्यटकों को अपनी वास्तुकला और अपने आसपास की बेजोड़ सुंदरता के लिए आकर्षित करता है। पर्यटक इस किले के पास बने अवलोकन टॉवर पर भी जा सकते हैं, जहां से झरोखों द्वारा आसपास के अद्भुत दृश्य देखे जा सकते हैं। किले के पास स्थित अन्य आकर्षणों में अंजनेय मंदिर भी शामिल है, जो अपनी निर्माणकला और मखराले से बनी थैय्यम देवी की दो मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटक पास स्थित प्राचीन बेकल समुद्र तट की यात्रा भी कर सकते हैं, जो कि शांत वातावरण के बीच आराम करने व तरोताजा होने के लिए एक आदर्श स्थान है।

अन्य आकर्षण