कौशाम्बी में स्थित प्रभोसा की पहाड़ी भारत में बौद्धों के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध अपने छठे वस्सा अनुष्ठान, जिसके अंतर्गत बौद्ध भिक्षु तीन महीने की अवधि तक मौन रहते थे और यात्रा नहीं करते थे, के दौरान यहीं पर रुके थे। इस पहाड़ी को प्राचीन काल में मांकुला के नाम से भी जाना जाता था और चीनी यात्री ज़ुआंगज़ंग के यात्रा संस्मरणों में इसका उल्लेख मिलता है , जिन्होंने 7वीं सदी में इस स्थान की यात्रा की थी और यहाँ सम्राट अशोक द्वारा निर्मित एक स्तूप की खोज की थी। इस पहाड़ी के चट्टानी इलाक़े में अनेकों गुफाएँ स्थित हैं और उनमें से सबसे बड़ी सीता की खिड़की है। इतिहासकारों का मानना है कि यह वही स्थान हो सकता है जहां भगवन बुद्ध अपनी प्रभोसा यात्रा के दौरान रुके थे। इस पहाड़ी की चोटी से पर्यटकों को यमुना नदी और मंदिरों की नगरी प्रभोसा का भव्य रूप देखने को मिलता है।

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