बैराठ का ऐतिहासिक क्षेत्र अशोकन शिलालेख, एक बौद्ध मठ तथा एक वृत्ताकार बौद्ध मंदिर के उत्खनित अवशेषों के लिए जाना जाता है, जो भारत में अपनी तरह के सबसे पहले ज्ञात मंदिरों में से एक है।  मुगल, राजपूत और मौर्य काल के अवशेष भी यहां पाए गए हैं। प्राचीन काल में बैराठ को विराटनगर कहा जाता था और यह मत्स्य राजा विराट की तत्कालीन राजधानी थी। किंवदंती है कि पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान यहां एक वर्ष बिताया था। चीनी यात्री जुआनज़ैंग ने बैराठ को बौद्ध तीर्थयात्रा के लिए एक महान स्थान माना। उत्खनन से यह भी पता चलता है कि यह स्थान कभी मौर्य साम्राज्य का हिस्सा था और ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी से पहली शताब्दी ईसवी के बीच एक बौद्ध केंद्र था। यह बात यहाँ पाए गए उन दो शिलालेखों से यह सिद्ध होती है, जो माना जाता है कि उन 84,000 शिलालेखों और स्तंभ शिलालेखों में से एक हैं, जो भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के प्रसार और प्रचार के लिए अशोक के शासन के दौरान उत्कीर्णित किए गए थे। यह शहर मुगल सम्राट अकबर के शासन के दौरान भी एक महत्वपूर्ण केंद्र था, जिसने यहां सिक्कों की एक टकसाल स्थापित की थी।

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