संगम

यह देश के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। 'त्रिवेणी संगम' तीन पवित्र नदियों-गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन बिंदु है। हर 12 साल में यहां कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। कुंभ दुनिया में सबसे बड़े जन सैलाबों में से एक है। लोकप्रिय धारणा के अनुसार संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं। संगम पर दोनों नदियों का मिलता पानी असाधारण दृश्य पैदा करता है, इसमें आप यमुना के हरे पानी और गंगा के खनिज तथा मिट्टी से भरे पानी में आसानी से भेद कर सकते हैं। संगम के सुंदर जल की धारा में नाव की सवारी करें और आस-पास के क्षेत्रों की शांति और आध्यात्मिकता को स्वयं में समाहित कर लें। आप किला घाट से इन दो पवित्र नदियों के वास्तविक संगम तक जाने के लिए नावों को किराए पर ले सकते हैं।

संगम

बड़े हनुमान जी का मंदिर

प्रयागराज के किले के निकट शहर का एक और दर्शनीय स्थल है- बड़े हनुमानजी का मंदिर। इसे लेटे हुए हनुमान का मंदिर भी कहा जाता है। यहां हनुमानजी की 20 फीट लंबी मूर्ति लेटी हुई या आराम करने की अवस्था में स्थापित की गई है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान हनुमान की इस आसन में पूजा अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि लंका को जलाने के बाद भगवान हनुमान काफी थक गए थे और देवी सीता के आग्रह पर यहां विश्राम करने के लिए लेट गये थे। इसका उल्लेख महाकाव्य रामायण में भी मिलता है। अत: इसके बाद यहां अब लाल पत्थर वाला मंदिर बना दिया गया। इस मंदिर की दिलचस्प बात यह है कि जमीन के नीचे लाल-संतरी खंभों और बाड़े से घिरे एक गड्ढे में भगवान की मूर्ति छह से सात फिट की दिखाई देती है।

बड़े हनुमान जी का मंदिर

आल सेंट कैथेड्रल (पत्थर गिरजाघर)

पत्थर गिरजाघर या स्टोन चर्च के रूप में भी चर्चित 'ऑल सेंट कैथेड्रल', एशिया के सबसे बेहतरीन एंग्लिकन कैथेड्रल में से एक माना जाता है। यह एक औपनिवेशिक संरचना है, जिसे 19 वीं शताब्दी में वास्तुकला की गोथिक शैली में बनाया गया था। इस ऐतिहासिक गिरजाघर का डिजाइन वर्ष 1871 में विख्यात ब्रिटिश वास्तुकार सर विलियम एमर्सन (जिन्हें कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल के डिजाइन का श्रेय भी दिया जाता है) द्वारा तैयार किया गया और 1887 में प्रतिष्ठित किया गया। भव्य संगमरमर का ऑल्टर, मोज़ेक का काम, स्टेंड ग्लास का पैनल, एक भव्य पल्पिट (प्रार्थना पढ़ने की जगह) और विशाल बलुआ पथ्थर से निर्मित मेहराब सब मिलकर, ऑल सेंट्स कैथेड्रल को प्रयागराज के शीर्ष पर्यटक आकर्षणों में से एक बनाते हैं। कैथेड्रल सिविल लाइंस में सरोजिनी नायडू मार्ग पर स्थित है और रविवार को सुबह से शाम तक खुला रहता है। इस चर्च में लगभग 300 लोग एक साथ बैठ सकते हैं।

आल सेंट कैथेड्रल (पत्थर गिरजाघर)

पातालपुरी

प्रयागराज के बाहरी इलाके में स्थित, पातालपुरी मंदिर, शहर के प्रमुख आध्यात्मिक स्थलों में से एक है। यह एक अद्वितीय भूमिगत मंदिर है, जिसमें हिंदू देवी-देवताओं की कई मूर्तियां हैं। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण अक्षयवट या अमर बरगद का पेड़ है। स्थानीय लोगों का मानना है कि प्राचीन समय में भक्तगण मोक्ष पाने के लिए इस पेड़ से कूदकर अपनी जान दे देते थे। हालांकि, ऐसा अब नहीं होता। यह पेड़ अब एक श्रद्धेय स्थल है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान राम इस मंदिर में आए थे। यहां बौद्ध भिक्षु और चीनी तीर्थयात्री ह्वेनसांग के उन कार्यों का भी उल्लेख मिलता है; जब वे इस मंदिर में आए थे। यह मंदिर प्रयागराज किले में स्थित है।

पातालपुरी