दम्पा टाइगर रिजर्व

500 वर्ग किमी के क्षेत्र में व्याप्त दम्पा टाइगर रिजर्व मिजोरम राज्य में स्थित सबसे बड़ा वन्यजीव अभयारण्य है। इस अभयारण्य में हाथियों, गौर, बिंटुरोंग, ढोल, भालू, बाघ के साथ-साथ हॉर्नबिल, जंगल फाउल, तीतर और कबूतर पाए जाते हैं। उभयचरों और सरीसृपों की अच्छी संख्या के साथ-साथ यहाँ छिपकली की 16 प्रजातियों भी पाई जाती हैं। आइज़ॉल से लगभग 130 किमी दूर स्थित दम्पा टाइगर रिजर्व की यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से अप्रैल के बीच है। अभयारण्य में आने से पहले, आगंतुकों को मिजोरम के पर्यावरण और वन विभाग से संपर्क स्थापित करने की आवश्यकता होती है। यह अभयारण्य राज्य की उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर स्थित है और पड़ोसी देश बांग्लादेश के साथ 80 किमी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है।

दम्पा टाइगर रिजर्व

खरीदारी

मिजोरम में हस्तशिल्प की सामग्री सबसे अच्छी है, विशेषकर बेंत और बांस से बनी हुई वस्तुएँ जो सुंदर और लंबे समय तक चलने वाली होती हैं, जैसे टोपी, बर्तन, टोकरी और फर्नीचर। पर्यटक मिज़ो महिलाओं द्वारा बुने गए शॉल, आकर्षक डिजाइन और पैटर्न में घर के बुने हुए कपड़े, और रंगीन पारंपरिक स्कर्ट जिसे स्थानीय भाषा में ‘पुआन’ के नाम से जाना जाता है, खरीद सकते हैं। आइज़ॉल के बाज़ार चमकदार ऊनी कपड़ों और खूबसूरत बांस की चीज़ें बेचने वाली दुकानों से अटे पड़े हैं। बड़ा बाज़ार शहर का सबसे व्यस्त बाज़ार है तथा न्यू मार्केट, सोलोमन की गुफा, थाक्तिंग बाज़ार और रिट्ज़ बाज़ार आइज़ॉल के कुछ अन्य महत्वपूर्ण शॉपिंग सेंटर हैं। मिजोरम म्यांमार के साथ अपनी सीमा साझा करता है, अतः यहाँ रंगून की विशेष वस्तुओं की खरीदारी भी की जा सकती है। रिट्ज बाजार में स्थित राज्य सरकार और हथकरघा एम्पोरियम यहाँ की पारंपरिक वस्तुओं की खरीदारी के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें बांस से बनी पारंपरिक मिजो टोपी जिसे ‘खुमबेऊ’ के नाम से जाना जाता है, और पारंपरिक तरीकों से बुने हुए उत्तम बैग शामिल हैं।

खरीदारी

तम दिल झील

'सरसों की झील' के अर्थ वाले नाम से जानी जाने वाली तम दिल झील इस राज्य के सबसे सुरम्य स्थानों में से एक है। आइज़ोल से लगभग 110 किमी दूर, यह झील सैटुअल गांव के पास, शांत वातावरण के बीच स्थित है। इसके प्राकृतिक सौंदर्य और शांतिपूर्ण परिवेश ने इसे राज्य के सबसे अधिक देखे जाने वाले स्थानों में से एक बना दिया है। यह मानव निर्मित झील आगंतुकों को नौका विहार करने और इसके अद्भुत परिवेश में आराम करने का अवसर प्रदान करती है। झील के आसपास का क्षेत्र विविध प्रकार के जानवरों, पेड़ों और पौधों की एक विस्तृत संख्या से आबाद है। यह झील न केवल पर्यटकों के लिए एक बेहतरीन पड़ाव है, बल्कि क्षेत्र में रहने वाले मछुआरों के लिए भी बहुत महत्व रखती है। मछुआरों को सहायता प्रदान करने के लिए यहां पास में ही राज्य मत्स्य विभाग द्वारा एक मत्स्यपालन केंद्र भी विकसित किया गया है।

तम दिल झील

हमार

हमार जनजाति की महिलाएं बेहतरीन बुनकर हैं जो छोटे-छोटे करघों पर काम करती हैं। घरेलू स्तर पर बुने गए धागे को अलग-अलग रंगों में रंगा जाता है और फिर कपड़ों के रूप में बुना जाता है, जो आमतौर पर परिवार के लिए बनाए जाते हैं। पुरुष और महिलाएं विभिन्न प्रकार के कपड़े पहनते हैं। हमार जनजाति का मूल सिनलुंग बताया जाता है, हालाँकि सटीक स्थान अभी भी अज्ञात है। इस जगह के बारे में कई कविताओं, कहानियों और गीतों की रचना की गई है जो पीढ़ी दर पीढ़ी सौंपी जाती है। हमार जनजाति अपनी समृद्ध संस्कृति और जीवंत लोक नृत्यों के लिए जानी जाती है। उनके पारंपरिक लोक नृत्यों और गीतों में लड़ाई, रोमांच और इतिहास के किस्से शामिल हैं। नृत्य के लिए एक प्रकार के ड्रम खूंग का उपयोग किया जाता है। अन्य संगीत वाद्ययंत्र जिनका उपयोग यह लोग करते हैं उनमें डारमंग (पीतल का घंटा), परखुंग (बांस से बना गिटार), ह्ना मट (पत्ती से बना वाद्ययंत्र) और थिलिया (बांस की बांसुरी) शामिल हैं। नर्तकों-नर्तकियों के पहनने वाले कपड़े भी काफी रंगीन होते हैं। पुरुष पंखों से बनी एक विशेष टोपी सर पर रखते हैं और एक शॉल पहनते हैं जिसे हमार पुआन कहा जाता है। वहीं स्त्रियाँ चूड़ियाँ और गले के हार जैसे गहनों के साथ श्रंगार करती हैं।

हमार