![हमार](/content/dam/incredible-india-v2/images/default/incredbleindia-placeholder.jpg/jcr:content/renditions/cq5dam.web.512.288.jpeg 480w,
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हमार जनजाति की महिलाएं बेहतरीन बुनकर हैं जो छोटे-छोटे करघों पर काम करती हैं। घरेलू स्तर पर बुने गए धागे को अलग-अलग रंगों में रंगा जाता है और फिर कपड़ों के रूप में बुना जाता है, जो आमतौर पर परिवार के लिए बनाए जाते हैं। पुरुष और महिलाएं विभिन्न प्रकार के कपड़े पहनते हैं। हमार जनजाति का मूल सिनलुंग बताया जाता है, हालाँकि सटीक स्थान अभी भी अज्ञात है। इस जगह के बारे में कई कविताओं, कहानियों और गीतों की रचना की गई है जो पीढ़ी दर पीढ़ी सौंपी जाती है। हमार जनजाति अपनी समृद्ध संस्कृति और जीवंत लोक नृत्यों के लिए जानी जाती है। उनके पारंपरिक लोक नृत्यों और गीतों में लड़ाई, रोमांच और इतिहास के किस्से शामिल हैं। नृत्य के लिए एक प्रकार के ड्रम खूंग का उपयोग किया जाता है। अन्य संगीत वाद्ययंत्र जिनका उपयोग यह लोग करते हैं उनमें डारमंग (पीतल का घंटा), परखुंग (बांस से बना गिटार), ह्ना मट (पत्ती से बना वाद्ययंत्र) और थिलिया (बांस की बांसुरी) शामिल हैं। नर्तकों-नर्तकियों के पहनने वाले कपड़े भी काफी रंगीन होते हैं। पुरुष पंखों से बनी एक विशेष टोपी सर पर रखते हैं और एक शॉल पहनते हैं जिसे हमार पुआन कहा जाता है। वहीं स्त्रियाँ चूड़ियाँ और गले के हार जैसे गहनों के साथ श्रंगार करती हैं।