सूर्य भगवान को समर्पित यह मंदिर मोढेरा गांव में है, जो अहमदाबाद शहर से 101 किलोमीटर दूर पुष्पावती नदी के किनारे पर स्थित है। वर्तमान में इस मंदिर में पूजा-अर्चना नहीं होती। इसका संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है तथा यह यूनेस्को विश्व विरासत धरोहर की सूची में शामिल है। इस मंदिर का निर्माण शिल्प एवं वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों को ध्यान में रखकर किया गया था जो वास्तुकला व बनावट का प्राचीन विज्ञान है। संपूर्ण मंदिर देखने में ऐसा लगता है मानो जल में कमल खिल रहा हो। इसका मुख्य परिसर तीन भागों में विभाजित है। मंदिर का प्रवेशद्वार जो सभा मंडप कहलाता है, अंतराल जो गलियार है तथा गर्भगृह इसका पवित्र स्थल है। मंदिर परिसर एवं मूर्तियों से सुसज्जित जलकुंड सोलंकी राजाओं के काल में बने भवनों के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।      

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