सीढ़ियों वाले इस कुएं का निर्माण 500 वर्ष पूर्व सुल्तान बाई हरीर द्वारा बनवाया गया था। अष्टकोणीय-आकार वाली दादा हरीर की वाव असारवा गांव में स्थित है। इसके एक ओर आवासीय क्षेत्र तथा दूसरी ओर अहमदाबाद का कोयला यार्ड स्थित है। यह वाव अहमदाबाद शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर है। यहां संस्कृत में लिखे शिलालेख से सिद्ध होता है कि इस सीढ़ीदार कुएं का निर्माण दिसम्बर 1499 ईस्वीं में महमूद शाह के शासनकाल में हुआ था। उस समय इसके निर्माण पर 3,29,000 महमूदी (3 लाख रुपए) खर्च हुए थे। फ़ारसी में लिखे शिलालेख से ज्ञात होता है कि इसका निर्माण महमूद बेगड़ा की एक घरेलू महिला दाई हरीर द्वारा किया गया था। उस समय स्थानीय रूप से यह दाई हरीर की वाव के नाम से प्रसिद्ध थी। बाद में इसका नाम बदलकर दादा हरीर की वाव कर दिया गया।
इस वाव का निर्माण सोलंकी वास्तुशैली में बलुआ पत्थर से किया गया है। पहली नज़र में देखने में संभवतः इसका भू-तल आकर्षक न लगे किंतु सीढ़ियों तक पहुंचने पर नीचे तक फैला सीढ़ियों एवं स्तंभों का विस्तार देखने को मिलता है। जब इन पर रोशनी पड़ती है तब इन पर उकेरी गई सुंदर नक्काशी परिलक्षित होती है। राज्य में बनी अन्य वाव की भांति दादा हरीर की वाव सुंदर वास्तुशिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसका उद्देश्य उस समय पानी उपलब्ध कराना है, जब वर्षा नहीं होती थी। इस वाव को देखने जाने का उचित समय सुबह देर से जाना है, जब रोशनी गहरे तक जाती है।    

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