हज़ार स्तंभो वाला मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह सुंदर और सुपरिष्कृत रूप से 1,000 बारीक नक्काशीदार स्तंभों का बना हुआ है, जो इतने करीब और सुगठित हैं कि मंदिर के चारों ओर एक दीवार की तरह प्रतीत होतें हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस सुंदर वास्तुशिल्पीय कृति को बनाने में लगभग 72 वर्ष का समय लगा। भगवान शिव, भगवान सूर्य और भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर काकतीया वास्तुकला का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है। इसकी संरचना एक तारे के आकार से मिलती-जुलती है और इसमें तीन प्रमुख मंदिर हैं, जिन्हें त्रिकुटालयम के नाम से जाना जाता है। परिसर के भीतर कई प्रतिमाएँ हैं, जो प्राचीन महाकाव्यों के दृश्यों को दर्शाती हैं। भगवान शिव के मंदिर के प्रवेश द्वार पर, नंदी शैली की एक विशाल नक्काशी है। यह भगवान शिव का दिव्य बैल है, जो काले बेसाल्ट/असिताश्म चट्टान से बना है। मंदिर का निर्माण 1163 ईस्वी में काकतीया नरेश रुद्र देव ने करवाया था।

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