क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित एक विशाल बरगद के पेड़ को सिद्धवट कहा जाता है। सिद्धवट का उज्जैन में वही धार्मिक महत्व है जो वृंदावन में वंशीवट और गया में अक्षयवट का है। माना जाता है कि इस सिद्धवट को देवी पार्वती ने लगाया था। देवी पार्वती यहां तपस्या करने आई थी, उस समय उन्होंने इस वट वृक्ष को यहां लगाया था। इसे पाप-मोचन (पाप शोधक) तीर्थ के रूप में पूजा जाता है। यहां साल भर पूजा और ध्यान करने नाथ पंथी संत आते हैं। तीर्थयात्रियों और आगंतुकों के आराम के लिए पास में एक रेस्तरां है। भक्त पवित्र क्षिप्रा नदी में स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि स्नान से उनके सारे पाप धुल जाते हैं। मंदिर तड़के सुबह 4 बजे ही खुल जाता है। बहुत सारे सैलानी सर्व पितृ अमावस्या पर अपने मृतक परिजनों की शांति के लिए प्रार्थना करने यहां आते हैं।

अन्य आकर्षण