देश के सबसे अमीर मंदिरों में से एक और दक्षिण भारत में एक प्रमुख पर्यटन स्थल, भगवान वेंकटेश मंदिर को तिरुपति बालाजी के रूप में मान्यता प्राप्त है। मंदिर भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है, जो भगवान विष्णु के अवतार हैं और इसके पवित्र मंदिर का उल्लेख पवित्र ग्रंथों जैसे गरुड़ पुराण, ब्रह्म पुराण और कई अन्य में मिलता  है। मंदिर समुद्र तल से 853 मीटर की ऊंचाई पर और वेंकट हिल पर स्थित है, जो तिरुमाला हिल्स की सप्तगिरि (सात पहाड़ियों) में से एक है। इन सात चोटियों को शेषनाग (नाग देवता) की जागीर कहा जाता है। मंदिर का विस्मयकारी पवित्र मंदिर शुद्ध सोने में ढंका हुआ है और देखने लायक है।

मंदिर में साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है और एक भक्त को मुख्य मूर्ति तक पहुंचने में औसतन तीन से पांच घंटे तक समय लग  सकता है। हालांकि, लंबी कतारों से बचने के लिए ऑनलाइन टिकट भी बुक कराया जा सकता है और बिना किसी परेशानी के आप मुख्य तीर्थयात्रा कर सकते हैं। मंदिर 11 वींशताब्दी में संत रामानुजाचार्य द्वारा निर्धारित धार्मिक संस्कारों व अनुष्ठानों का पालन करता है। प्रार्थनाएं सुबह 3 बजे से शुरू होती हैं और एकांत सेवा (एक ऐसा अनुष्ठान जिसमें एक पुजारी भगवान को सुलाने के लिए लिटा देता है) 1बजे समाप्त होती है। मंदिर में एक लोकप्रिय प्रथा है कि भगवान को प्रसन्न करने के लिए बालों और विभिन्न तरह की संपत्ति दान में दी जाती है। मंदिर की इमारत की वास्तुकला शानदार है और द्रविड़ शैली को दर्शाती है। गर्भगृह की ओर तीन प्रवेश द्वार हैं, पहले को महाद्वारम कहा जाता है। प्रवेश द्वार के सामने 50 फीट की दूरी पर एक गोपुरम (प्रवेश द्वार) गया है। दो परिक्रमा पथ हैं। पहले पथ में कई खंभे वाले हॉल और ध्वजदण्ड हैं तो  दूसरे में कई उप-मंदिर और अन्य भवनों सहित रसोई घर हैं। मुख्य मंदिर में एक स्वर्णजड़ित मीनार है जिसे आनंद निलयम कहा जाता है, और मीनार के अंदर एक मंदिर में मुख्य देवता रहते हैं। भक्तजन मंदिर के उत्तरी किनारे पर स्थित एक पवित्र तालाब को भी देखने जाते हैं।

अन्य आकर्षण