बादशाह मकबरा कश्मीर के प्रसिद्ध शासक, सुल्तान ज़ैन उल-आबदीन (1421-1474 ईस्वी) के मां की श्रीनगर में अंतिम विश्राम स्थली है। यह एक पुराने बौद्ध मंदिर के तल पर बनाया गया है। यह एक असाधारण पांच-गुंबद वाली ईंटों से बनी संरचना है। इसे 15 वीं शताब्दी की वास्तुकला का एक अनूठा नमूना माना जाता है। ऐसे दावे हैं कि यह बाइज़ेंटाइन साम्राज्य की एक संरचना की तरह दिखता है। यह कब्र एक शांतिपूर्ण जगह है, ऊपर से आस-पास की हरियाली का शानदार दृश्य देखने को मिलता है। जब ज़ैना कदल (पुल) से शहर के सबसे पुराने पुल को देखा जाता है तो यह पुराने श्रीनगर शहर का महत्वपूर्ण पारंपरिक दृश्य जैसा लगता है।

बादशाह मकबरे के पास से झेलम नदी बहती है। ऐसा माना जाता है कि सुल्तान ज़ैन उल-आबदीन ने जानबूझकर पारंपरिक मुस्लिम मान्यताओं और पारंपरिक अनुष्ठानों, रीति -रिवाजों के अनुसार एक जल निकाय के बगल में इस मकबरे का निर्माण करवाया था।
सुल्तान ज़ैन उल-आबदीन को लोग महान राजा, 'बडशाह' या 'बादशाह' कहते थे। उन्होंने 50 वर्षों तक कश्मीर पर शासन किया और उस पूरे काल को सबसे शांतिपूर्ण काल में गिना जाता है। सुल्तान ज़ैन उल-आबदीन शाहमीर के पुत्र थे। उन्होंने मध्य एशिया से भारत आकर, 14वीं शताब्दी के मध्य में मुगल साम्राज्य की स्थापना की। अपने शासनकाल में सुल्तान को लोगों का भरपूर प्यार मिला। अपनी प्रिय मां की मृत्यु के बाद बादशाह ने उनका मकबरा उनकी स्नेहपूर्ण स्मृति में बनवाया।

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