शहर के केंद्र में स्थित सिलवासा का जनजातीय संग्रहालय शहर के उन पर्यटन स्थलों में से एक है, जहां सबसे ज्यादा भीड़ आकर्षित होती है। यह इस क्षेत्र के विभिन्न जनजातीय समूहों की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करता है। संग्रहालय की यात्रा विविध जनजातियों, उनकी उत्पत्ति और कालांतर में उनके विकास से आपको परिचित कराती है। संग्रहालय की दीवारें धनुष, खंजर, भाले और अन्य शिकार उपकरण और आदिवासी समुदायों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों से सुसज्जित हैं। संग्रहालय में आदिवासियों के जीवन, शादी की वेशभूषा, हस्तनिर्मित आभूषण, दैनिक उपयोग के बर्तन और विभिन्न आदिवासी त्योहारों के उत्सव को दर्शाती तस्वीरें और मिट्टी की मूर्तियां प्रदर्शित हैं। संग्रहालय में तरफा या परवी से लेकर ढोल और मदाल तक के संगीत वाद्ययंत्र हैं। यहां पौराणिक पात्रों, कठपुतलियों और गुड़ियों के हस्तनिर्मित मुखौटे भी देखे जा सकते हैं। संग्रहालय में मछली पकड़ने के उपकरण भी प्रदर्शनी के तौर पर लगाए गए हैं। संग्रहालय रोज सुबह 9 से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।

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