इसे सहस्त्रलिंग टैंक या सहस्रलिंग तालाब कहा जाता है। इस मानव निर्मित टैंक को दुर्लभ सरोवर (झील) पर बनाया गया है। मध्यकाल में निर्मित, यह सोलंकी या चालुक्य शासन द्वारा शुरू किया गया था। तालाब वर्ष 1084 में सोलंकी काल के सबसे बड़े जलीय निर्माणों में से एक है। यह तालाब उस समय की अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) का एक बेहतरीन उदाहरण है। इस झील में जिस प्रक्रिया से सरस्वती नदी से पानी आता था, इसे देख सभी आश्चर्य में पड़ जाते हैं। आप यह देख सकते हैं कि चैनल को चतुराई से पत्थर के अन्दर कैसे तराशा गया है, ताकि पानी इकट्ठा हो सके और फिर टैंक में प्रवाहित हो सके। कहा जाता है कि सहस्त्र राजा, तलाब में पानी को स्वतः साफ करने के लिए प्राकृतिक फ़िल्ट्रेशन (छनाई) की पूरी प्रक्रिया अपनाई गई थी।

दीवारों और स्तंभों पर की गई देवताओं की जटिल नक्काशी के कारण यह जलाशय एक कलाकृति की तरह दिखता है। यह स्मारक आज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित है।

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