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समृद्ध इतिहास, जीवंत संस्कृति, सुंदर वास्तुकला और लोक कला की एक गौरवशाली परंपरा वाला गुजरात का पाटन शहर, राज्य के सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक है। पाटन कई प्रसिद्ध स्मारकों वाली जगह है। यहां रानी-की-वाव नाम की उत्कृष्ट बावड़ी है, जो यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में शुमार है। यह शहर विभिन्न हिंदू और जैन मंदिरों और मस्जिदों के लिये भी प्रसिद्ध है, जो अपने समय की बेहतरीन स्थापत्य शैली को समेटे हुए है। वास्तव में, पाटन में ऐसी मस्जिदें हैं जो अहमदाबाद की इस्लामिक इमारतों से भी पुरानी हैं। स्थानीय बुनकरों द्वारा बुनी, प्रसिद्ध पटोला साड़ियों और मशरू वस्त्रों की खरीददारी के लिए भी यह शहर प्रसिद्ध है।
चावड़ा राजवंश के पहले शासक, वनराज चावड़ा द्वारा स्थापित, पाटन को अनाहिलवाड़ा पाटन भी कहा जाता था। यह नाम राजा के मित्र, अनहिल भारवाड के नाम से प्रेरित था। पाटन सन् 746 और सन् 1411 के बीच लगभग 650 वर्षों तक गुजरात की राजधानी के रूप में फलता-फूलता रहा। चावड़ा के बाद, सोलंकी और बघेल राजवंशों ने भी पाटन पर शासन किया। सन् 942 से 1244 तक सोलंकी शासन के दौरान पाटन शहर व्यापार, ज्ञान और वास्तुकला के शीर्ष पर था।