यहां के प्राचीन घने जंगल, हरे-भरे धान के खेत, खूबसूरत झरने और समृद्ध इतिहास, सभी मिलकर केरल के पश्चिमी घाट के तल में स्थित पलक्कड़ को एक आकर्षक पर्यटन स्थल बनाते हैं। केरल के अन्न भंडार के रूप में मशहूर इस उपजाऊ क्षेत्र में, ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई प्रसिद्ध लड़ाइयां लड़ी गईं। यहां प्रकृति अपने उदात्त रूप में नजर आती है। पलक्कड़ के घने जंगलों में वनस्पतियों और जीवों की भव्य प्रजातियां पाई जाती हैं। नाना प्रकार के रिजर्व, राष्ट्रीय उद्यानों और पक्षी अभयारण्यों के मध्य घूमना-फिरना एक ऐसा अनुभव है, जिसे आसानी से भुलाया नहीं जा सकता। मंत्रमुग्ध कर देने वाला मयिलादुमपारा मयूर एक ऐसा अभयारण्य है, जहां आपको कई मोर भव्य रूप से नाचते हुए दिखाई पड़ सकते हैं, परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य में जलाशयों की तलाश में घूमते बाघ दिखाई देना यहां के लिए आम बात है। पलक्कड़ में आप प्रकृति का अवलोकन काफी करीब से कर सकते हैं। इस स्थान का नाम मलयालम शब्द पाला (एक प्रकार का वृक्ष) और काडु (वन) को मिलाकर पड़ा है। इतिहास के अनुसार, यहां कभी एक शानदार जंगल हुआ करता था, जहां पाला वृक्ष के भीनी-भीनी सुगंध वाले फूलों की भरमार थी।

पलक्कड़ का इतिहास काफी समृद्ध रहा है। मालाबार मैनुअल के लेखक विलियम लोगन के अनुसार, हो सकता है कि कांची के पल्लव वंश (275 ईसवी- 897 ईसवी) ने दूसरी या तीसरी शताब्दी में मालाबार पर आक्रमण किया हो। उनका एक मुख्यालय 'पलकड़' नामक स्थान पर था, जो वर्तमान में पलक्कड़ हो सकता है। वर्ष 1757 में, कालीकट के ज़मोरिन ने पलक्कड़ पर आक्रमण किया और पलक्कड़ के राजा ने मैसूर के हैदर अली से मदद मांगी। हैदर अली ने राजा को जीतने में मदद तो की किंतु इसके बाद पलक्कड़ की भूमि मैसूर के शासकों, अली और उसके बेटे टीपू सुल्तान के पास चली गई। यह इतिहास पलक्कड़ किले में आज भी जीवन्त है, जो मैसूर के राजाओं और अंग्रेजों के बीच कई लड़ाइयों की गवाह है।

पहाड़ों के बीच एक 40 किमी का एक दर्रा है, जिसे पलक्कड़ गैप के नाम से जाना जाता है, जहां से होकर पलक्कड़ तक जाने का रास्ता जाता है। इस दर्रे से होकर बहुत-से अधिवासी इस जमीन पर आकर बस गए और धीरे-धीरे यहां मसाला व्यापार पनपने लगा। यह बहुसांस्कृतिक प्रभाव यहां मंदिरों और महलों में स्पष्ट रूप से लक्षित होता है। आज भी पलक्कड़ विभिन्न संस्कृतियों का मिश्रण है, और इसके अलावा इस क्षेत्र ने कुछ बेहतरीन कर्नाटक संगीतकार भी दिए हैं।