मोम संग्रहालय

मोम संग्रहालय में भारत और दुनिया भर के वाद्ययंत्र बजाने वाले संगीतकारों की आदमकद मूर्तियों के साथ-साथ मोम में बने संगीत वाद्ययंत्रों का विशाल संग्रह है। 19-गैलरी के दौरे में 110 आदमकद मूर्तियाँ और 300 से अधिक संगीत वाद्ययंत्र शामिल हैं। मैसूर के पूर्ववर्ती राजा, कृष्णराज वाडियार की मूर्ति, स्थानीय लोगों के बीच लोकप्रिय आकर्षण है। संगीत संबंधी उपकरणों के लिए इसकी व्यापकता को देखते हुए, संग्रहालय को मेलोडी विश्व मोम संग्रहालय के रूप में भी जाना जाता है। जिस भवन में इसे बनाया गया है उसे 90 वर्ष से अधिक पुराना बताया जाता है! कर्नाटक, पंजाबी, मध्य पूर्वी, चीनी, आदिवासी, जैज, हिप हॉप और रॉक संगीत सभी का प्रतिनिधित्व किसी न किसी रूप में यहां किया जाता है। मोम संग्रहालय की स्थापना अक्टूबर 2010 में बेंगलुरु स्थित आईटी पेशेवर श्री जी भास्करन की सोच की देन थी।

मोम संग्रहालय

रेत मूर्तिकला संग्रहालय

चामुंडी बेट्टा (पहाड़ी) के पास स्थित, देश में अपनी तरह का पहला रेत मूर्तिकला संग्रहालय है, जो मैसूरु शहर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है। रेत और पानी से बने संग्रहालय में रेत, पानी और गोंद के लगभग 115 ट्रक लोड से 150 से अधिक कला मोनोलिथ बनाए गए थे। इनमें 16 थीम प्रदर्शित होते हैं। इसके अधिक आकर्षण में विशाल गणेश, टॉम और जेरी और देवी चामुंडेश्वरी, साथ ही दशहरा के अवसर पर मैसूर के पूर्ववर्ती राजा श्रीकांतदत्त नरसिम्हराजा वाडियार का शामिल होना है। आप भगवान कृष्ण और अर्जुन, लाफिंग बुद्धा, क्रिसमस ट्री और सांता क्लॉज़, डिज़नीलैंड के पात्रों, प्राचीन मिस्र, राशि चक्र, अरब की रातों के दृश्यों आदि को दर्शाती हुई मोनोलिथ देख सकते हैं। इस संग्रहालय की परिकल्पना प्रमुख रेत मूर्तिकार, एमएन गौरी ने की थी, जिन्हें इसे बनाने में चार महीने का समय लगा था।

रेत मूर्तिकला संग्रहालय

रेल संग्रहालय

यदि आप देश के रेल नेटवर्क की झलक पाना चाहते हैं तो मैसूर में स्थित रेल संग्रहालय आयें, जिसमें भारतीय रेलवे नेटवर्क के विकास को उजागर करने वाली दीर्घाओं का संग्रह है। संग्रहालय में कोच, लोकोमोटिव और रेलवे से जुड़े चित्रों और तस्वीरों का एक विस्तृत संग्रह भी है। मैसूर के महाराजा द्वारा उपयोग किए गए रेल डिब्बों और महारानी की सैलून गाड़ी, जिसे यूनाइटेड किंगडम से आयात किया गया था, को देखना न भूलें। छोटी ट्रेन की सवारी और बच्चों का खेल क्षेत्र भी संग्रहालय का हिस्सा हैं।

संग्रहालय का एक अन्य आकर्षण चामुंडी गैलरी है, जहां चित्रों और ग्राफिक्स को प्रदर्शित किया जाता है। एक अन्य आकर्षण ऑस्टिन रेलवे कार है, जिसे शुरू में 1925 में सड़क पर चलाने हेतु बनाया गया था।

रेल संग्रहालय

लोकगीत संग्रहालय

जयलक्ष्मी विलास हवेली में स्थित ‘विश्वविद्यालय लोकगीत संग्रहालय’, जोकि एशिया में सबसे बेहतरीन है, में 6,500 के लगभग स्वदेशी कला के रूप चित्रण, कर्नाटक राज्य की हस्तकला की कला, संस्कृति, साहित्य, नृत्य, नाटक और संगीत से संबंधित कलाकृतियों और हस्तकला की वस्तुएँ हैं। कोप्पा, बनवासी और राजघाट जिलों में खुदाई के दौरान मिले पुरापाषाणकालीन उपकरण भी यहाँ संरक्षित हैं। महल का वह भाग जहाँ कभी शादी भवन हुआ करता था, वहां अब प्रसिद्ध कवियों और लेखकों के निजी सामान रखे जाते हैं, जिनमें कपड़े, पेन, छाता, डायरी और मूल लेखन शामिल हैं। यक्षगान (पारंपरिक नाटकशाला रूप) और कथकली (शास्त्रीय नृत्य रूप) जैसी प्रदर्शन कलाओं के लिए एक अन्य खंड समर्पित है; नर्तकियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले मुखौटे, मुकुट और आभूषणों को भी देखा जा सकता है।

लोकगीत संग्रहालय