कदरी पहाड़ियों के सुंदर परिदृश्यों के बीच स्थित मंजुनाथेश्वर मंदिर एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक गंतव्य है। ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण 10वीं सदी में हुआ था जो भगवान मंजुनाथ को समर्पित है, वह भगवान शिव के अवतार हैं। यह प्रतिमा कांस्य से बनी है, ऐसा माना जाता है कि दक्षिण भारत में यह अपने प्रकार की सबसे पुरानी प्रतिमाओं में से एक है। इस मंदिर में भगवान गणेश, भगवान शास्ता, भगवान विष्णु, देवी दुर्गापरमेश्वरी एवं गोमुख गणपति की प्रतिमाएं भी विद्यमान हैं। मंदिर के सामने सात जलकुंड बने हुए हैं, जिनके आसपास हरे-भरे बगीचे हैं। मंदिर के पीछे प्राकृतिक झरना बहता है, जो गोमुख कहलाता है। इसी से जलकुंडों को पानी मिलता है। मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पहले श्रद्धालुगण यहां पर डुबकी लगाते हैं। 

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