ज़ांस्कर घाटी

13,154 फीट की ऊंचाई पर स्थित, ज़ांस्कर घाटी एक शुष्क बंज़र इलाका है। यह शानदार हिमालय के उत्तरी भाग में स्थित है। इस क्षेत्र में पर्यटकों को आकर्षित करने वाले खूबसूरत बर्फ से ढके पहाड़, सुखद मौसम, ज़ांस्कर के शानदार झरने और हरे-भरे परिदृश्य हैं। घाटी लेह से 105 किमी दूर है और साहसिक खेलों जैसे ट्रेकिंग, पैराग्लाइडिंग, वॉटर राफ्टिंग आदि के लिए शानदार जगह है। यहां, आप लोकप्रिय ट्रेकिंग विकल्प जैसे लामायुरू से दारचा, लामायुरू - पदुम ट्रेक भी चुन सकते हैं। ज़ोंगला, ज़ोंगखुल, स्ट्रांगडी जैसे सदियों पुराने मठों में पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है और यहां तक कि सुरू घाटी से ज़ांस्कर को अलग करने वाले सुंदर पेन्जिला पास में शिविर भी लगाया जा सकता है। सर्दियों के दौरान, तापमान एक -30 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है। कोई भी व्यक्ति जून से सितंबर के महीनों के बीच ही ज़ांस्कर की यात्रा कर सकता है, अन्यथा घाटी की सभी सड़कें बर्फ से ढकी हुई होती हैं इस तरह से आने जाने का रास्ता बंद रहता है।

ज़ांस्कर घाटी

सो कार झील

लद्दाख की तीन ऊंची-ऊंची झीलों में से सबसे छोटी सो कार झील सो मोरीरी से लगभग 50 किमी दूर है। 15,280 फीट की ऊंचाई पर स्थित, यह ऊंचे पहाड़ों से घिरी है जो हाथ ना आने वाले हिम तेंदुए का घर है। इसके किनारे पर पानी के जमाव में सफेद नमक की मात्रा के कारण इसे सफेद झील भी कहा जाता है, यह पर्यटकों को अपनी सुंदरता से आकर्षित करती है। झील के आसपास का क्षेत्र वन्यजीवों और वनस्पतियों से भरा हुआ है और यह पक्षियों पर नजर रखने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु भी है। पक्षियों पर नजर रखने वाले खासकर प्रवास के मौसम के दौरान यहां नजर आते हैं। इस दौरान कई प्रजातियां अपने अंडे देने के लिए यहां आती हैं, जिसमें काले गर्दन वाले क्रेन भी शामिल हैं। ठगजे और गुरसेन की खानाबदोश बस्तियां झील और उसके आसपास के क्षेत्र की रक्षा करती हैं। इस झील की यात्रा करने का सही समय मई और अगस्त के महीनों के बीच है।

सो कार झील

सुरू घाटी

लद्दाख के सफर पर जाएं तो कुदरत का सबसे अलग नजारा देखने के लिए सुरू घाटी को देखना न भूलें। बर्फ से ढकी पहाड़ियों, प्राचीन नदियों से घिरी सुरम्य सुरू घाटी लद्दाख की सबसे खूबसूरत घाटी है। इस घाटी की सबसे खास चीज बरामदा के आकार की डिब्बीनुमा घाटियों का एक समूह है। कारगिल जिले में स्थित यह घाटी तुर्की और तिब्बती वास्तुकला का मिश्रण समेटे हुए है, जो यहां के विचित्र घरों को देखने से पता चलता है। यहां का सबसे आकर्षक कार्तसे खार है, जिसमें भगवान बुद्ध की 7वीं शताब्दी की एक प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा लगभग 7 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। पर्यटक यहां से रंगदूम भी जा सकते हैं, जहां एक सुंदर मठ है और दो छोटी बस्तियां हैं। पर्वतारोहण करने या भ्रमण पर जाने के इच्छुक लोगों के लिए पानीखार यहां बेस है। इस घाटी में जंगला मठ भी पास में स्थित है। यह खूबसूरत मठ देखने के लायक है। यहां अवश्य जाना चाहिए। सूरू घाटी की पहाड़ियों की खेती लद्दाख में सबसे अधिक होती है। इसके अलावा जोखिम से आनंद खोजने वाले साहसिक कुदरत प्रेमियों के लिए, नन कुन पर्वत की चोटी के अलावा अल्पाइन ढलानों और आकर्षक चोटियां दूर से ही दिखाई देती हैं।

सुरू घाटी

नुब्रा घाटी

ताकतवर पहाड़ों की भूरे रंग की छाया के बीचोबीच स्थित हरी.भरी नुब्रा घाटी अपने आप में कुदरत का करिश्मा है। लद्दाख की इस गहरी घाटी को रेगिस्तान के बीच नखलिस्तान का दर्जा दिया जाता है। यहां की कुदरती सुंदरता कमाल की है।  यहां शुष्क रेत के टीलोंए प्राचीन खंडहरों और शांत बौद्ध मठों के विशाल खंडों के साथए नुब्रा घाटी सैर करने के लिए बहुत ही आकर्षक सैलानी ठिकाना है।  लेह शहर से लगभग 150 किमी की दूरी पर स्थित यह घाटी स्थानीय नदियों रिओ श्योक और सियाचिन के दोआब पर स्थित है।  यहां के लहराते बर्फीले रेत के टीले ठंडे रेगिस्तान की पहचान बताते हैं। यहां पर दो कूबड़ वाले ऊंटों को देखा जा सकता है।  यह नुब्रा घाटी मशहूर पश्मीना बकरी के घर के रूप में भी विख्यात है।  दुनिया भर में मशहूर सियाचिन ग्लेशियर के नजदीक स्थित पनामिक गाँव ठहरने के लिए बहुत अच्छी जगह है।  दिक्षित बौद्ध मठए याराब त्सो झीलए मैत्रेय बौद्धए समस्टानलिंग बौद्ध मठ और खरदुंग ला मार्ग जैसे अन्य देखने लायक स्थान हैं।

नुब्रा घाटी