लेहेन पालखर के रूप में प्रसिद्धए लेह पैलेस को 15वीं सदी के दौरान राजा सेंगगे नामग्याल ने बनवाया था। यह पैलेस का काम 17वीं शताब्दी तक पूरा किया गया था।    इसका अग्रभाग तिब्बत की राजधानी ल्हासा के पोटाला पैलेस से मिलता जुलता है।  लेह पैलेस की छत पर लद्दाख क्षेत्र और स्टोक कांगड़ी के अद्भुत दृश्य दिखाई देते हैं।   विशाल दीवारों और लकड़ी की बालकनियों के साथए यह मध्यकालीन तिब्बती वास्तुकला का एक बड़ा उदाहरण है।  यह पैलेस 9 मंजिल का है।  महल के प्रवेश द्वार को लकड़ी की नक्काशीदार मूर्तियों से सजाया गया है।   ऊपरी मंजिलों का इस्तेमाल शाही लोगों को ठहराने के लिए किया जाता थाए जबकि निचली मंजिलों को स्टोररूम और अस्तबल के रूप में उपयोग किया जाता था। महल की कुछ दिलचस्प विशेषताओं में नामग्याल स्तूपए भित्ति.चित्र से भरा चंदाज़िक गोम्पा और चंबा लखांग मंदिर में मौजूद मध्यकालीन भित्ति चित्र शामिल हैं।  महल के भीतर स्थित संग्रहालय में कलाकृतियां हैं जो 450 साल से ज्यादा पुरानी हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण वर्तमान में लेह पैलेस की विरासत को संरक्षित करने के लिए काम कर रहा है।

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