गिरनार पर्वत की तरफ जाते हुए एक बड़ी इमारत में मौर्य सम्राट अशोक के 14 शिलालेख एक बड़े पत्थर पर खुदवाए गए मिलते हैं। ये शिलालेख एक लगभग दस मीटर ऊंची और सात मीटर परिधि वाली अनगढ़ चट्टान पर ब्राह्मी लिपि में खुदे हुए हैं। ये लेख शांति, सांप्रदायिक मेलभाव और धैर्य का संदेश देते हैं। इसी चट्टान पर ईस्वीं सन 150 के आसपास मालवा के शक सम्राट महाक्षत्रप रुद्रदमन द्वारा संस्कृत भाषा में खुदवाए लेख भी देखने को मिलते हैं। इन लेखों में सुवर्ण सिक्ता और पलाशिनी नदियों के अशांत पानी के पहाड़ से बह कर नीचे जाने और सुदर्शन झील पर बने बांध को तोड़ने के इतिहास का वर्णन है। यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो आपको इतिहास के उस दौर में ले जाता है जब यह क्षेत्र महान मौर्य शासन काल में वैभवशाली था।