सन 1878 में बना झांसी संग्राहलय बेहद प्राचीन कलाकृतियों का अद्भुत खजाना है। यहां आपक चौथी शताब्दी तक की कलाकृतियां और पुरातत्व अवशेष देखने को मिलेंगे। शहर के बीचों बीच स्थित यह संग्रहालय सैलानियों के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। इस संग्रहालय के चार भाग हैं, जिनमें गुप्त और चंदेल वंश के समय की पांडुलिपियां और तराशी गयी मूर्तियां तथा प्रतिमाएं प्रदर्शित की गयी हैं। इतना ही नहीं यहां अति दुर्लभ पेंटिंग्स, अस्त्र-शस्त्र और टैरकोटा से बनीं बेहद खूबसूरत वस्तुएं भी प्रदर्शित की गयी हैं। चंदेल वंश ने झांसी पर 10वीं से 11वीं शताब्दी तक शासन किया था और इस संग्राहलय में उस काल से जुड़े बहुत सारे दुर्लभ अवशेषों को संरक्षित रखा गया है, जिनमें चंदेल वंश के रजवाड़ा खानदानों द्वारा पहनी जाने वाली खूबसूरत और बेशकीमती पोशाकें, तथा फोटोज के साथ-साथ सोने, चांदी और तांबे से बने सिक्के भी शामिल हैं। यहां एक पिक्चर गैलरी भी है, जिसमें गुप्त काल की महत्वपूर्ण घटनाक्रमों को प्रस्तुत किया गया है। यह संग्रहालय प्रत्येक सोमवार तथा हर माह के दूसरे शनिवार को बंद रहता है।