इमा कैथल / इमा मार्केट / ख्वारम्बंद बाजार

संभवतः दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा बाजारए इमा कैथल महिलाओं द्वारा लगाये जाने वाले बाजार के रूप में प्रसिद्ध है और पर्यटकों और स्थानीय लोगों को समान रूप से आकर्षित करता है। यहाँ की स्थानीय महिलाओं को उनकी सांस्कृतिक परिधान फानेक यकमर से लपेटा हुआ एक लम्बे सायानुमा कपड़ाद्ध और इन्नाफिस यकंधे पर रखने वाला अंगवस्त्रए बहुत हद तक शाल की तरह द्ध में हर सुबह दुकान और ठेले लगाते देखना एक अद्भुत दृश्य होता हैए जब वो अपने ग्राहकों का स्वागत कर रही होती है। खरीददारी का शौख रखने वालों के लिए यह बाजार किसी स्वर्ग से कम नहीं। ताजे फलए सब्जियों और मसालों से लेकर कपड़ाए हस्तशिल्प और सीकों और डालियों से बने हुए उत्पादों तकए हलचल भरी बाजार में दुकानें स्थानीय लोगों और पर्यटकों की सभी जरूरतों को पूरा करती हैं।

इमा शब्द का अर्थ माँ होता है और इमा कैथल में लगभग 5000 इमा चलते ठेलों पर सड़क के दोनों ओर स्थित होती है। इम्फाल के केंद्र में स्थितए 500 साल पुराना बाजार राज्य का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र रहा है और यहां रोजाना बड़ी संख्या में खरीदार आते रहते हैं। इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के अनुसारए मणिपुर में एक प्राचीन सश्रम मजदूर प्रणाली लल्लूपण्काबा के बाद महिलाओं द्वारा संचालित बाजार की उत्पत्ति हुई। नतीजतनए सभी पुरुषों को दूर क्षेत्रों में कृषि भूमि पर खेती और युद्ध लड़ने के लिए भेजा गया और यह महिलाएं थी जिन्होंने स्थानीय लोगों की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार स्थापित किया था। इमा कैथल या ख्वारम्बंद बाजारए जैसा की ये आमतौर पर जाना जाता हैए की जीवंत सड़कों पर घूमनाए एक अद्भुत अनुभव होता है और इम्फाल आने वाले पर्यटकों को इसका जरूर लुत्फ़ उठाना चाहिए।

इमा कैथल / इमा मार्केट / ख्वारम्बंद बाजार

नुपी लैन स्मारक परिसर

यह स्मारक परिसर कई मणिपुरी महिलाओं की स्मृति को समर्पित हैए जिन्होंने 12 दिसंबरए 1939 को अंग्रेजों के खिलाफ न्याय के लिए संघर्ष करते हुए अपनी जान गंवा दी थी। मणिपुरी में श् नुपी लैन श् शब्द का अर्थ है महिलाओं का युद्ध। ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ लड़ाई में मणिपुरी महिलाओं को चित्रित करने वाले स्मारक परिसर में मूर्तियां और यात्रा के लायक हैं। जैसेण्जैसे कहानी आगे बढ़ती हैए मणिपुर और ब्रिटिश सरकार के शासकों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ एक आंदोलन के रूप में शुरू हुआए बाद में मणिपुर के संवैधानिक और प्रशासनिक सुधार के लिए एक आंदोलन में बदल गया। नुपी लैन के दौरानए मणिपुर के इमा कैथल मार्केट में महिला व्यापारियों द्वारा आंदोलन और विरोध रैली आयोजित की गई थी। ऐतिहासिक आंदोलन ने 40 के दशक की शुरुआत में राज्य में आर्थिक और राजनीतिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त किया।

नुपी लैन स्मारक परिसर

इम्फाल युद्ध कब्रिस्तान

हरे भरे वातावरण के बीचए इम्फाल युद्ध कब्रिस्तान में बहादुर भारतीय और ब्रिटिश सैनिकों की कब्रें हैंए जो 1944 में मार्च और जुलाई के बीच इम्फाल की लड़ाई में शहीद हो गए थे। सुव्यवस्थित कब्रिस्तान घास से ढके एक बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। शहीदों के नाम उनकी कब्रों पर प्रदर्शित करने के लिए पत्थर के मार्करों और कांस्य पट्टिकाओं का उपयोग किया गया है। कब्रिस्तान में जाने वाले पर्यटकों को भी इस क्षेत्र के समृद्ध वनस्पतियों का पता लगाने का मौका मिलता है क्योंकि इसकी समृद्ध सुंदरता को बढ़ाने के लिए सुंदर फूल और ऊंचे पेड़ लगाए गए हैं। कब्रिस्तान में वीर सैनिकों की 1ए600 कब्रें हैं और उनके बलिदान की गवाही देती है। इम्फाल युद्ध कब्रिस्तान में स्थित है देउलाह्लंदए डीएम कॉलेज के सामनेए और इसका प्रबन्धन राष्ट्रमंडल युद्ध कब्र आयोग द्वारा किया जाता है।

इम्फाल युद्ध कब्रिस्तान

शहरी सामुदायिक केंद्र

कांच की परत का उपयोग करके आधुनिक वास्तुकला शैली में निर्मितए शहर का सामुदायिक केंद्रए इम्फाल में महल परिसर के भीतर स्थित है और सम्मेलनोंए संगोष्ठियोंए बैठकों और अन्य भेंटवार्ता को रखने के लिए उच्च मानक सुविधाएं प्रदान करता है। यह शहर का सांस्कृतिक केंद्र हैए जहां लगभग सभी बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। केंद्र के मुख्य सभागार की क्षमता देखी जाये तो 746 कुर्सियां मेज सहित और 300 कुर्सियां मेज रहित है। सामुदायिक केंद्र में एक सभागारए एक ऑडियो विजुअल कक्षए एक वीवीआईपी सम्मेलन कक्षए एक प्रदर्शनीण्सहण्बहुउद्देशीय बड़ा कमरा भी मौजूद है। सम्मेलन केंद्र मणिपुर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए एक झरोखे की तरह कार्य करता है। पर्यटक कला वीथिका और केंद्र में स्थित इतिहास संग्रहालय भी देख सकते हैं। सम्मेलन केंद्रए इम्फाल के नित्येबंद चुठेकण्कोनुंग ममांग मार्ग पर संजेंथोंग क्षेत्र में स्थित है। 

शहरी सामुदायिक केंद्र

सेकाता पुरातत्व संग्रहालय

आमतौर पर सेकाटा केई के रूप में जाना जाने वालाए सेकाता पुरातात्विक जीवंत संग्रहालयए इम्फाल के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है और यह पुरातत्वविदोंए इतिहासकारों और पर्यटकों को दुनिया के सभी हिस्सों से आमंत्रित करता रहा है। संग्रहालय की एक यात्रा से 14 वीं और 15 वीं शताब्दी के दौरान मणिपुर में जनजातियों के इतिहास को देखा जा सकता है और प्राचीन पुरातन वस्तुओं का पता लगाने का एक दुर्लभ अवसर का भी लाभ उठाया जा सकता है। संग्रहालय के विभिन्न खंड प्राचीन काल के दौरान आदिवासियों द्वारा निभाए जाने वाले परम्पराओं और अनुष्ठानों से आगंतुकों का परिचय कराते हैं। संग्रहालय में आभूषणोंए उत्तम मिट्टी के बर्तनोंए अर्धण्कीमती पत्थरों और धातु से बने उपकरणों का भीए एक अनूठा संग्रह है। आगंतुक पहले के मीती और नागा शासकों से संबंधित दुर्लभ कलाकृतियों के बारे में भी जान सकते हैं। यह संग्रहालय एक पुरातात्विक स्थल पर स्थित है जिसकी खुदाई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यएएसआईद्ध और मणिपुर के पुरातत्वविदों ने की थी। खुदाई में छह चिह्नित कब्रगाह का पता चला। एक कब्र का टीला अभी भी राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है। लगभग 0ण्35 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआए सेकाता टीला एक दिलचस्प यात्रा का गन्तव्य बन सकता है। संग्रहालय इम्फाल से 16 किमी की दूरी पर स्थित है।

सेकाता पुरातत्व संग्रहालय

मुतुआ बहादुर संग्रहालयए एंड्रो

इम्फाल के बाहरी इलाके में बसा अंद्रो का विचित्र और छोटा सा गांव हैए जहाँ मुतुआ बहादुर संग्रहालय नाम का अपने में अनोखा संग्रहालय है। इसका निर्माण सामान्य संग्रहालयों की तरह कंक्रीट की इमारत से नहीं किया गया है। अपितु पारंपरिक शैली में बने मकान और घासफूस की झोपड़ियों के इस्तेमाल से संग्रहालय बनाया गया है। पर्यटक मिट्टीए मिट्टी के बर्तनोंए सिक्कोंए पांडुलिपियोंए चित्रोंए घंटी धातु की वस्तुओंए आभूषणए लकड़ी की नक्काशी और जातीय हस्तकला वस्तुओं की एक श्रृंखला सहित पारंपरिक कलाकृतियों का एक अच्छा संकलन यहाँ देख सकते हैं। मणिपुर के विभिन्न जनजातियों द्वारा निर्मित विभिन्न घर जिसमें शामिल है पौमईए काबुईए मेइतीए कूकी और तांगखुलए की नकल भी इस संग्रहालय में बनाई गयी है। राज्य की 34 मान्यता प्राप्त जनजातियाँ गुड़िया घर में गुड़िया के रूप में प्रतिनिधित्व करती हैं। प्रदर्शन के लिए मौजूद लकड़ी की नक्काशी और पारंपरिक चित्रकला मणिपुर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथण्साथ अपने लोगों से जुड़ी पौराणिक कथाओं और किंवदंतियों के बारे में गहन जानकारी प्रदान करती है।

मुतुआ बहादुर संग्रहालयए एंड्रो

मणिपुर राज्य संग्रहालय

राज्य के सबसेमहत्वपूर्ण संग्रहालयों में से एकए मणिपुर राज्य संग्रहालय मणिपुर के लोगों केइतिहासए उनके जीवन और इस राज्य की आकर्षक जनजातीय विरासत के बारे में बहुत सीजानकारी प्रदान करता है। संग्रहालय की सबसे बड़ी विशेषता हयांग हिरेन नाम की 54 फुट लंबी शाही नाव हैए जिसे संग्रहालय की खुलीवीथिका में प्रदर्शित किया गया है। आगंतुकए राजसी घरानों द्वारा इस्तेमाल किए गएवस्त्रो और पोलो को उपकरणों से लेकर आदिवासियों के कपड़ेए युद्ध के हथियारएप्राचीन अवशेष और दस्तावेजों का दुर्लभ संग्रह यहाँ देख सकते हैं। इस संग्रहालयमें मणिपुर के पूर्व शासकों के चित्रों के साथए पारंपरिक कृषि उपकरणए बुद्ध अवशेषएआदिवासी गहनेए धूम्रपान पाइप और मणिपुर वस्त्रों का भी शानदार संग्रह है।संग्रहालय आगंतुकों के लिए नियमित प्रदर्शनियोंए सांस्कृतिक प्रशंसा पाठ्यक्रमोंऔर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन भी करता है। सोमवार और मास के दूसरे शनिवार कोछोड़करए सभी दिनों में सुबह 10 से शाम 4 बजे तक संग्रहालय का भ्रमण किया जा सकता है।
 

 मणिपुर राज्य संग्रहालय

मोइरांग का आईएनए स्मारक

मोइरांग स्थित आज़ाद हिन्द फ़ौज स्मारक और संग्रहालयए मूल रूप से सिंगापुर में निर्मित आईएनए युद्ध स्मारक की नकल है और यह सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। इस संग्रहालय में हथियारों और गोला.बारूदए संगीनोंए हेलमेटों और आज़ाद हिन्द फ़ौज के सैनिकों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अन्य लेखों का एक अच्छा संग्रह है। संग्रहालय में पुस्तकोंए दस्तावेजोंए पांडुलिपियों और पत्रिकाओं को भी अच्छा संकलन हैए जो भारत के इतिहास और उसके स्वतंत्रता संग्राम को दिखाते हैं। इस स्मारक का ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि यहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पहली बार आज़ाद हिन्द फ़ौज के कमांडर.इन.चीफ के रूप में भारतीय तिरंगा फहराया था। आज़ाद हिन्द फ़ौज के हजारों सैनिकों के साथ जापानी सैनिक भी मणिपुर में इम्फाल की लड़ाई के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए थे। वे मणिपुर घाटी में 1ए500 वर्ग मील के क्षेत्र को आजाद कराने में कामयाब रहे थे और मोइरांग में मुख्यालय से तीन महीने तक आजाद क्षेत्र पर शासन किया था। ये स्मारक उन्ही बहादुर सैनिकों की याद में बनाया गया है और यहाँ आनाए किसी भी यात्री के लिए रोमांचक हो सकता है।

 

मोइरांग का आईएनए स्मारक

शहीद मीनार

शहर के हृदय में स्थितए बीर टिकेंद्रजीत उद्यान शहीद मीनार के लिए प्रसिद्ध है। यह एक लंबा स्मारक है। ये 1891 के एंग्लो.मणिपुरी युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए मणिपुर सेना के सिपाहियों के सम्मान में खड़ा किया गया हैए जिन्होने अंग्रेज़ो से मोर्चा थामा था। इस मीनार में तीन ऊर्ध्वाधर खंभे शामिल हैं जो ऊपर की ओर जाकर एक साथ मिल जाते हैंए जिसे तीन पौराणिक ड्रेगन की नक्काशी से सजाया गया है। उद्यान को युवराज बीर टिकेंद्रजीत और जनरल थंगल के सम्मान में बनाया गया थाए जो 1891 में अंग्रेजों द्वारा सार्वजनिक रूप से फाँसी पर लटकाए गए थे। बीर टिकेंद्रजीत उद्यानए कंगला किले से इम्फाल के इमा मार्केट के रास्ते पर स्थित है। उद्यान को पोलो मैदान के पूर्वी खंड से बाहर किया गया था। उद्यान एक बेहतरीन जगह हैए जहाँ इतिहास.प्रेमी शांति से घूम सकते हैं।

शहीद मीनार

कंगला किला

इम्फाल नदी के दोनों किनारों पर फैलाए प्राचीन कंगला किला कभी एक भव्य इमारत थी जो आजए दो हजार साल से भी ज्यादा समय से अस्तित्व में है। आजए नदी के पश्चिमी किनारे पर इसके आकर्षक खंडहरए इसकी प्राचीन भव्यता की निशानी है। पूरे किले में कई मंदिर हैं जो पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। चूंकि कंगला मणिपुर की प्राचीन राजधानी भी थीए इसलिए कई मीटी सम्राटों ने इसी कंगला किले से शासन किया था।

 

कंगला किला