लम्बे शंकुधर और देवदार के पेड़ों के बीच स्थित जंगल में सेंट जॉन विल्डरनेस चर्च है, जो व्यापक रूप से अपनी वास्तुकलात्मक गूढ़ताओं और गोथिक शैली के लिए जाना जाता है। यहां वेदिका रेलिंग की सुंदर पॉलिश की गई लकड़ी और स्टेन्ड ग्लास की खिड़कियों के साथ पीतल के तेल के दीपक विशेष रूप से आकर्षक हैं, जो पत्थर की इमारत की डरावनी उपस्थिति को कमतर करते हैं। प्रवेश द्वार के पास वर्ष 1915 में इंग्लैंड से विशेष रूप से लाई गई विशाल चर्च की घंटी है। यहां एक स्मारक भी है, जो ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड एल्गिन के सम्मान में खड़ा किया गया बड़े पत्थर का एक ढांचा है। वायसराय लॉर्ड एल्गिन की वर्ष 1863 में धर्मशाला में मृत्यु हो गई थी। चर्च का निर्माण वर्ष 1852 में हुआ था और यह स्थान उन कई यूरोपीय लोगों का अंतिम विश्राम स्थल भी बना, जो वर्ष 1905 में चंबा में आए एक बड़े भूकंप में अंतिम गति को प्राप्त हो गए थे। यह चर्च केवल रविवार को होने वाले साप्ताहिक मास(इकट्ठा होने वाला दिन) के लिए ही खुलता है, जो सुबह 10 बजे आयोजित किया जाता है।

अन्य आकर्षण